*”सुख का सूरज फिर निकलेगा”*
*सुख का सूरज फिर निकलेगा
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अंधियारा से प्रकाश की ओर अंतर्मन में दीप जलेगा।
अटल ,अडिग दृढ़ विश्वास से उम्मीद की किरणों से चमकेगा।
सुख का सूरज फिर निकलेगा….
अमावस की काली घनघोर रात के बाद नई सुबह का सूरज संकट हरेगा।
जीवन पथ पर मुश्किलें जो आई परमात्मा उसे मुक्त करेगा।
सुख का सूरज फिर निकलेगा….
बादलों में लुकाछिपी खेलते धुंधली छटाओं में सूरज निकलेगा।
कोहरा छाया धुंधली सी फ़ाग में संघर्षो से जूझते सूरज निकलेगा।
सुख का सूरज फिर निकलेगा…..
दुआओं के लिए उठे दोनों हाथों से कुछ न कुछ जरूर कबूल करेगा।
केरोना की जंग से लड़ते हुए अखंडता से एकता के संग चलेगा।
सुख का सूरज फिर निकलेगा…..
संपूर्ण विश्व विजेता गुरु आत्म चेतना से ईश साधना दुःख हरेगा।
दूर हो जायेगी विपदा आपदाएं जब अंतर्मन में शुभ संकल्प जगेगा।
सुख का सूरज फिर निकलेगा….
पराजय से विजय पथ की ओर सूरज की रोशनी में कमल पुष्प खिलेगा।
शंखनाद ,तालियों थालियों से नवदीप से मंदिर की घण्टियों में नाद ध्वनियां निकलेगा।
सुख का सूरज चमकेगा विश्व विजयी घोषित कर ऊंचा उठेगा।
सुख का सूरज फिर से निकलेगा ….
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शशिकला व्यास ✍️