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27 Apr 2017 · 1 min read

सुकमा के नक्सली हमलों में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि

ग़ज़ल
@@@@
जो फ़नां हो गये देश पर हैं जवां
पल रहे कोख में उनके घर हैं जवां
??????????
जान जाती है है तो जान जाए मेरी
जान देने के अरमां मगर हैं जवां
???????????
इस वतन के लिये एक क्या सौ जनम
अब भी दिल में मेरे सौ समर हैं जवां
???????????
तीरग़ी अब वतन में न रहने दूँ मैं
हौसलों के वो शम्सो कमर हैं जवां
???????????
डर नहीं कश्तियाँ डूब जाएँ भले
उठ रही है दिलों में लहर हैं जवां
???????????
हम गरीबी की चादर न ओढे़ं कभी
अब तिरंगे की वो मालो ज़र हैं जवां
???????????
हम शहादत से पीछे हटें न कभी
जब तलक दहशतों के सफ़र हैं जवां
???????????
जाने दो अब न रोको ए “प्रीतम” मुझे
मंजिलों को च लें रहगुज़र हैं जवां
**********
—–@ प्रीतम राठौर @—-
श्रावस्ती (उ० प्र०)

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