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16 Jun 2020 · 1 min read

सुःख-दुःख

दूर जाते हमसे सुःख
अच्छे हमको लगते दुःख

कल की सूरत क्या होगी
हम हवा का जाने रुख़

खूबसूरत दिल भी था
आज तक बस देखे मुख

है कसक अब भी बाक़ी
काश! फिर से लौटे सुःख

2 Comments · 448 Views
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Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
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