सीले रिश्ते,कौन सिलेगा?
सीले रिश्ते
कौन सिलेगा ?
सुई जोड़ेगी,पर
हर जोड़ पर चुभेगी।
धागा उभरेगा !
रिश्ता फटा ही रहेगा,
भीतर ही भीतर
जुड़ा नज़र आयेगा,
सिर्फ ऊपर।
चला सको ,चलाओ
जब तक चाहो ओढ़ो !
फिर फेंक देना,
कोने में मन के,
नहीं चलते,
फटे रिश्ते,
बुनकर बेशक
बार बार बुने
हज़ार बार बुने।
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राजेश’ललित’शर्मा