Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2021 · 1 min read

करें जो मातु चिंतन उन्हीं पर मातु मरती है।

मंच को नमन!
मां शारदे के चरणों समर्पित
विधाता छंद ?
(१)
करे मन से समर्पण जो सभी कुछ वार देती है।
शरण में जो जभी आया उसे संस्कार देती है।
लिखें जब भी शरण लेकर लिखे को सार देती है।
लगाकर कंठ से अपने सभी को प्यार देती है।।
****************************
(२)
अहं का बीज जो बोये उसे फटकार देती है।
उड़े बनकर हवा कोई उसे वो भार देती है।।
नहीं वो रुष्ट होती है सभी को तार देती है।
भॅवर में हो अगर कश्ती उसे पतवार देती है।।
******************************
(३)
जगत जननी वो जगदम्बे जगत उद्धार करती है।
विधा से रंक जो होते उन्हीं के अंक भरती है।
विपद में जो घिरे रहते उन्हीं के कष्ट हरती है।
करें जो मातु का चिंतन उन्हीं पर मातु मरती है।।
?अटल मुरादाबादी ?

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 239 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
यह जो आँखों में दिख रहा है
यह जो आँखों में दिख रहा है
कवि दीपक बवेजा
पर्यावरण और प्रकृति
पर्यावरण और प्रकृति
Dhriti Mishra
👌आभास👌
👌आभास👌
*Author प्रणय प्रभात*
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
Ravikesh Jha
किसी ने अपनी पत्नी को पढ़ाया और पत्नी ने पढ़ लिखकर उसके साथ धो
किसी ने अपनी पत्नी को पढ़ाया और पत्नी ने पढ़ लिखकर उसके साथ धो
ruby kumari
लगाव
लगाव
Rajni kapoor
"अहसासों का समीकरण"
Dr. Kishan tandon kranti
ख़ुद को हमने निकाल रखा है
ख़ुद को हमने निकाल रखा है
Mahendra Narayan
बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
आर.एस. 'प्रीतम'
इतनी जल्दी दुनियां की
इतनी जल्दी दुनियां की
नेताम आर सी
छान रहा ब्रह्मांड की,
छान रहा ब्रह्मांड की,
sushil sarna
सुरक्षा कवच
सुरक्षा कवच
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"व्यक्ति जब अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों के स्रोत को जान लेता
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
श्रृंगार
श्रृंगार
Neelam Sharma
समय सीमित है इसलिए इसे किसी और के जैसे जिंदगी जीने में व्यर्
समय सीमित है इसलिए इसे किसी और के जैसे जिंदगी जीने में व्यर्
Shashi kala vyas
गोलू देवता मूर्ति स्थापना समारोह ।
गोलू देवता मूर्ति स्थापना समारोह ।
श्याम सिंह बिष्ट
“मृदुलता”
“मृदुलता”
DrLakshman Jha Parimal
जय संविधान...✊🇮🇳
जय संविधान...✊🇮🇳
Srishty Bansal
कल बहुत कुछ सीखा गए
कल बहुत कुछ सीखा गए
Dushyant Kumar Patel
तू ही बता, करूं मैं क्या
तू ही बता, करूं मैं क्या
Aditya Prakash
खुद को सम्हाल ,भैया खुद को सम्हाल
खुद को सम्हाल ,भैया खुद को सम्हाल
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
खुश वही है जिंदगी में जिसे सही जीवन साथी मिला है क्योंकि हर
खुश वही है जिंदगी में जिसे सही जीवन साथी मिला है क्योंकि हर
Ranjeet kumar patre
दीप शिखा सी जले जिंदगी
दीप शिखा सी जले जिंदगी
Suryakant Dwivedi
हमने किस्मत से आँखें लड़ाई मगर
हमने किस्मत से आँखें लड़ाई मगर
VINOD CHAUHAN
💐प्रेम कौतुक-547💐
💐प्रेम कौतुक-547💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"लोकगीत" (छाई देसवा पे महंगाई ऐसी समया आई राम)
Slok maurya "umang"
रंग भी रंगीन होते है तुम्हे छूकर
रंग भी रंगीन होते है तुम्हे छूकर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
बैरी डायबिटीज (हास्य कुंडलिया)
बैरी डायबिटीज (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
3245.*पूर्णिका*
3245.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पेड़ लगाओ तुम ....
पेड़ लगाओ तुम ....
जगदीश लववंशी
Loading...