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23 Apr 2017 · 1 min read

“सियासत”

सियासत का बस धर्म एक,सत्ता मिलें बस यार।
मैं बैठा बेटा पाए,मूरख सब संसार।

राजा है पर धर्म नही ,नीति बिना ये राज।।
रामराज्य की बात हो, कैसे होवे काज।

सत्ता मेरी बनी रहे,चाह मिटे सब बात।
भैया मेरे यार तुम,बाकी पूरी रात।

जनता जानें क्या भला ,चलें सियासत चाल।
कर्मफल का अब डर नहीं,जनता हो बेहाल।

हृदय से सोच सियासत,समय चले दिन रात।
दिन दिन उम्र घटती रहे,कछु न बचेगो हाथ।

प्रशांत शर्मा”सरल”
नरसिंहपुर

Language: Hindi
427 Views
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