सियासत वो परिंदा है।
जहर पीकर भी जिंदा है, सियासत वो परिंदा है।
सना है खून से दामन, घोटालों का पुलिंदा है।
मदारी सा चुनावों में, नये करतब दिखाता है,
लगे सूरत से भोला पर, विचारों से दरिंदा है।
जहर पीकर भी जिंदा है, सियासत वो परिंदा है।
सना है खून से दामन, घोटालों का पुलिंदा है।
मदारी सा चुनावों में, नये करतब दिखाता है,
लगे सूरत से भोला पर, विचारों से दरिंदा है।