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20 Sep 2020 · 1 min read

सिगरेट

जी चाहता है तुम्हें अपने होठों से छूं लूं तुम मेरा पहला प्रेम हो।जानती हो तुम्हे मैं उन दिनों से चाहता हूं जब मैं स्कूल जाया करता था पर तुम्हे चाहकर भी कभी करीब न ला सका।अब कारण चाहे जो रहा हो पर तुम आज भी उतनी ही हसीन और कमसिन लगती हो जैसी उन दिनों में थी।कितनी ही मर्तवा तुम करीब आये पर तुम्हें कभी अपना न बना सका।उम्र के इस पढ़ाव में मेरी आज भी तुम सबसे अज़ीज़ हो पर तुम्हारा नशीला धुंआ हमेशा तुम्हारे मेरे दरमियां आ जाता है और हर बात दिल की दिल में ही रह जाती है।पर (सिगरेट)कहे देता हूं तुम्हें इत्मीनान से सुनो!
जिस दिन मेरा हृदय प्रसन्न होगा तुम्हें अपने होठों से लगा ही लूंगा।सिगरेट से चाहे लोग कितनी ही नफ़रत करते हो पर तुम मेरा पहला प्यार हो बिल्कुल मेरी किताबी संग्रह की तरह वो प्यार जिसे हमेशा संचय किया दिल के बेहद करीब होते हुए भी जिसे कभी होठों से न छुंआ।
मनोज शर्मा

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 198 Views
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