Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Nov 2016 · 1 min read

सिखाया जिन परिंदों को उड़ना

बच्चे भी हक़ अब जताने लगे हैं
आँखों से आँखे , मिलाने लगे हैं
*************************
तुतलाते थे जो चंद रोज पहले
जबां से जबां अब लड़ाने लगे हैं
*************************
चाहते हैं पाना इक रोज में वो
पाने में जिसको ,जमाने लगे हैं
*************************
निकले हैं पँख परिंदों के शायद
परवाज ऊँची ,दिखाने लगे हैं
*************************
सिखाया जिन परिंदों को उड़ना
घोसलों से वही अब जाने लगे हैं
*************************
कपिल कुमार
03/11/2016

428 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सच में कितना प्यारा था, मेरे नानी का घर...
सच में कितना प्यारा था, मेरे नानी का घर...
Anand Kumar
जीवन जितना
जीवन जितना
Dr fauzia Naseem shad
रंग ही रंगमंच के किरदार है
रंग ही रंगमंच के किरदार है
Neeraj Agarwal
माॅ प्रकृति
माॅ प्रकृति
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
जीवनसाथी
जीवनसाथी
Rajni kapoor
मुझे भी आकाश में उड़ने को मिले पर
मुझे भी आकाश में उड़ने को मिले पर
Charu Mitra
बेटियों ने
बेटियों ने
ruby kumari
🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
Dr Shweta sood
भारत देश
भारत देश
लक्ष्मी सिंह
लिख सकता हूँ ।।
लिख सकता हूँ ।।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मैं ढूंढता हूं रातो - दिन कोई बशर मिले।
मैं ढूंढता हूं रातो - दिन कोई बशर मिले।
सत्य कुमार प्रेमी
जिंदगी बहुत ही छोटी है मेरे दोस्त
जिंदगी बहुत ही छोटी है मेरे दोस्त
कृष्णकांत गुर्जर
करम
करम
Fuzail Sardhanvi
खंजर
खंजर
AJAY AMITABH SUMAN
दस्तक भूली राह दरवाजा
दस्तक भूली राह दरवाजा
Suryakant Dwivedi
*श्री विष्णु शरण अग्रवाल सर्राफ के गीता-प्रवचन*
*श्री विष्णु शरण अग्रवाल सर्राफ के गीता-प्रवचन*
Ravi Prakash
कोई पागल हो गया,
कोई पागल हो गया,
sushil sarna
जिंदगी उधेड़बुन का नाम नहीं है
जिंदगी उधेड़बुन का नाम नहीं है
कवि दीपक बवेजा
बचपन की यादों को यारो मत भुलना
बचपन की यादों को यारो मत भुलना
Ram Krishan Rastogi
टूटा हुआ ख़्वाब हूॅ॑ मैं
टूटा हुआ ख़्वाब हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
Keep this in your mind:
Keep this in your mind:
पूर्वार्थ
चलो मतदान कर आएँ, निभाएँ फर्ज हम अपना।
चलो मतदान कर आएँ, निभाएँ फर्ज हम अपना।
डॉ.सीमा अग्रवाल
#सुप्रभात
#सुप्रभात
आर.एस. 'प्रीतम'
रिश्ते
रिश्ते
Sanjay ' शून्य'
रंग बदलते बहरूपिये इंसान को शायद यह एहसास बिलकुल भी नहीं होत
रंग बदलते बहरूपिये इंसान को शायद यह एहसास बिलकुल भी नहीं होत
Seema Verma
आज़ादी का जश्न
आज़ादी का जश्न
Shekhar Chandra Mitra
अगर हौसला हो तो फिर कब ख्वाब अधूरा होता है,
अगर हौसला हो तो फिर कब ख्वाब अधूरा होता है,
Shweta Soni
जैसे एकसे दिखने वाले नमक और चीनी का स्वाद अलग अलग होता है...
जैसे एकसे दिखने वाले नमक और चीनी का स्वाद अलग अलग होता है...
Radhakishan R. Mundhra
■ एक_और_बरसी...
■ एक_और_बरसी...
*Author प्रणय प्रभात*
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
Neelam Sharma
Loading...