सिंदूर
एक नन्ही – सी
डिबिया सिंदूर की
अद्भुत चमत्कार की पिटारी
नारी सौभाग्य और स्वास्थ्य की
इसमें तो समाई है
सारी दुनिया।
सिन्दूर की
रक्तिम आभा
द्विगुणित करे नारी का रूप
लाल रंग
पार्वती का प्रतीक
जो पत्नी का आदर्श स्वरूप ब्रह्मरन्ध्र और अध्मि स्थान
के ऊपर
नारी करती इसे शोभित
होता जिसके माध्यम से ही
तन की वैद्युतिक ऊर्जा
का नियंत्रण
मन की शांति
नियंत्रण रक्त चाप पर
कराता मांग का सिन्दूर
हर नारी के सुख सौभाग्य
है परिचायक यह सिन्दूर
वृद्धावस्था रखे दूर
हर सुहागन का
यह रूप निखारे
हर विवाहिता
इससे खुद को संवारे।
स्वास्थ्य सौन्दर्य सौभाग्य
व सम्मान
सिन्दूर की महिमा दर्शाते चार
इसीलिए भारत की नारी
मस्तक पर इसे करे अंगीकार।
रंजना माथुर
जयपुर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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