Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2021 · 1 min read

साहित्य में राष्ट्रीय चेतना

स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम की शुरुआत के साथ ही राष्ट्रीय चेतना के स्वर साहित्यकारों की लेखनी में मुखरित होने लगे थे । होते भी क्यों न । सामाजिक परिवेश साहित्यकार का प्राण होता है जिसकी आहट श्वांस की हर धड़कन में मिलती है । उस समय की समाजिक पृष्ठभूमि में उसी ओजस्वी स्फूर्ति का संचार हो रहा था जो परतन्त्रता की वेणियों को काटने में अपनी महतीय भूमिका अदा कर सकती थी । हिन्दी कवि एवं लेखक भी इस नवजागरण से प्रभावित हो रहे थे परिणामस्वरूप देश प्रेम , राष्ट्रीय भक्ति के गीतों का गूँजना स्वभाविक था ।

राष्ट्रीय चेतना की यह धारा आदिकाल से प्रवाहित होती हुई आज भी संचरिय हो रही है चारण कवि राज्याश्रित रहकर जन जीवन में राष्ट्रीयता से आ़तप्रोत भावों का संचार करते थे । भक्ति काल भक्ति की ओजमयी सरिता तो प्रवाहित हुई लेकिन तुलसी जैसे कवियों ने रामराज्य की संकल्पना को संकल्पित किया । रीतिकाल में रीतिबध्द काव्य रचा गया लेकिन भूषण जैसे कवियों की लेखनी की धार से छत्रसाल और शिवाजी के स्वर बुलंद हुए ।

Language: Hindi
Tag: लेख
79 Likes · 1 Comment · 1359 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
प्यारी तितली
प्यारी तितली
Dr Archana Gupta
सफ़ेदे का पत्ता
सफ़ेदे का पत्ता
नन्दलाल सुथार "राही"
"दुम"
Dr. Kishan tandon kranti
समय गुंगा नाही बस मौन हैं,
समय गुंगा नाही बस मौन हैं,
Sampada
👌ग़ज़ल :--
👌ग़ज़ल :--
*Author प्रणय प्रभात*
🙏 🌹गुरु चरणों की धूल🌹 🙏
🙏 🌹गुरु चरणों की धूल🌹 🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अगर मरने के बाद भी जीना चाहो,
अगर मरने के बाद भी जीना चाहो,
Ranjeet kumar patre
रिसाय के उमर ह , मनाए के जनम तक होना चाहि ।
रिसाय के उमर ह , मनाए के जनम तक होना चाहि ।
Lakhan Yadav
सफर 👣जिंदगी का
सफर 👣जिंदगी का
डॉ० रोहित कौशिक
मिसाल
मिसाल
Kanchan Khanna
जुगुनूओं की कोशिशें कामयाब अब हो रही,
जुगुनूओं की कोशिशें कामयाब अब हो रही,
Kumud Srivastava
तुम्हारी जय जय चौकीदार
तुम्हारी जय जय चौकीदार
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
ख़ुशी मिले कि मिले ग़म मुझे मलाल नहीं
ख़ुशी मिले कि मिले ग़म मुझे मलाल नहीं
Anis Shah
वक्त बदलते ही चूर- चूर हो जाता है,
वक्त बदलते ही चूर- चूर हो जाता है,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जीवन के किसी भी
जीवन के किसी भी
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल/नज़्म - आज़ मेरे हाथों और पैरों में ये कम्पन सा क्यूँ है
ग़ज़ल/नज़्म - आज़ मेरे हाथों और पैरों में ये कम्पन सा क्यूँ है
अनिल कुमार
*मॉं भजनों को सुन-सुन कर, दौड़ी-दौड़ी आ जाना (गीत)*
*मॉं भजनों को सुन-सुन कर, दौड़ी-दौड़ी आ जाना (गीत)*
Ravi Prakash
-- आगे बढ़ना है न ?--
-- आगे बढ़ना है न ?--
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
सच बोलने की हिम्मत
सच बोलने की हिम्मत
Shekhar Chandra Mitra
*तू बन जाए गर हमसफऱ*
*तू बन जाए गर हमसफऱ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रमेशराज के त्योहार एवं अवसरविशेष के बालगीत
रमेशराज के त्योहार एवं अवसरविशेष के बालगीत
कवि रमेशराज
मानवता
मानवता
Rahul Singh
Be with someone who motivates you to do better in life becau
Be with someone who motivates you to do better in life becau
पूर्वार्थ
मेरी मोहब्बत का उसने कुछ इस प्रकार दाम दिया,
मेरी मोहब्बत का उसने कुछ इस प्रकार दाम दिया,
Vishal babu (vishu)
फ़ितरतन
फ़ितरतन
Monika Verma
ముందుకు సాగిపో..
ముందుకు సాగిపో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
बघेली कविता -
बघेली कविता -
Priyanshu Kushwaha
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
किन्तु क्या संयोग ऐसा; आज तक मन मिल न पाया?
किन्तु क्या संयोग ऐसा; आज तक मन मिल न पाया?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मेरी चाहत रही..
मेरी चाहत रही..
हिमांशु Kulshrestha
Loading...