सावन
सभी मित्रों को राम राम
सावन
******
आया सावन बदरा बरसे
सजन मिलन को सजनी तरसे,
झींगुर मेढक करते शोर
हरियाली फैली चहुँओर।
उमड़ – घुमड़ घटायें गर्जे
इन्द्रधनुष सतरंगी चमके,
चहके पपीहा नाचे मोर
कावड़ीयो की मच रही शोर।
वन – उपवन में फुलवा गमके
गर्जे घटा बीजुरीया चमके,
भिगी सुबहा मधुरिम भोर
चंचल चित मन भाव विभोर।
सजनी पाव महावर साजे
पाव पैजनिया छन – छन बाजे,
विरहन हृदय मचाये शोर
नयनन अश्रु बहे घनघोर।
प्रियतम – प्रियतम गोरी बोले
पंख पपीहा जैसे खोले
मिलन की इच्छा है पुरजोर
आ जाओ अब हे चित चोर।
“©® पं.सचिन शुक्ल।
आप सभी को भक्ति भाव से परिपूर्ण
इस सावन की चहकती हुई फुदकती हुई मधुरिम मंगलमय हार्दिक शुभ कामनाऐ।
सुप्रभात मित्रजनों।