सावन
#सादर_समीक्षार्थ
सावन आस लाता है, सुखद बरसात लाता है।
गमों के पीर से बोझिल, विरह की रात लाता है।
समझ पाता नहीं कोई, सावन की है क्या- मंशा –
कही गम की घटा काली, कही सुख साथ लाता है।।
✍️पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
#सादर_समीक्षार्थ
सावन आस लाता है, सुखद बरसात लाता है।
गमों के पीर से बोझिल, विरह की रात लाता है।
समझ पाता नहीं कोई, सावन की है क्या- मंशा –
कही गम की घटा काली, कही सुख साथ लाता है।।
✍️पं.संजीव शुक्ल “सचिन”