*”सावन के झूले “*
“सावन के झूले”
सावन महीना आया ,
रिमझिम बूंदे लाया ,
कोयल ने गीत गाया ,
मन हरषाया है ।
सखी संग मिलकर ,
अमुआ की डाल पर ,
सोलह श्रृंगार कर ,
झूला वो झुलाए है।
हरी पीली चुनरिया ,
पांव बजे पैजनिया ,
नैन सजे कजरिया ,
सावन ये आया है।
सावन मनभावन ,
सुरभित उपवन ,
झूम उठा तनमन ,
झूमे गीत गाये है।
शशिकला व्यास