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10 Jun 2016 · 1 min read

सारा ही जग तप रहा

सारा ही जग तप रहा , खिली हुई यूँ धूप
अमलतास का पर हुआ , सोने जैसा रूप
सोने जैसा रूप, दहकता भी गुलमोहर
धरती का श्रृंगार , कर रहे मिलकर सुन्दर
मगर अर्चना आज आदमी गम का मारा
मौसम की खा मार , बिगड़ता जीवन सारा

डॉ अर्चना गुप्ता

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