Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Aug 2017 · 7 min read

साध संगत # किस्सा – बाबा जगन्नाथ @ लोहारी जाटू धाम #

किस्सा – बाबा जगन्नाथ

वार्ता – सज्जनों | यह वर्तान्त चंद्रवंशी खानदान के सिद्ध महात्मा और तपधारी परमहंस बाबा जगन्नाथ लोहारी जाटू-भिवानी (हरियाणा) वाले का है | सज्जनों बताया जाता है की बाबा जगन्नाथ प्रसिद्ध नगरी जगन्नाथपुरी से चलकर अपने गुरु भाई के पास गाँव सामाण-पुठी मे आये और वहा पर बाबा जगन्नाथ 4 साल के आसपास रहे थे | फिर बाबा जगन्नाथ सामाण से चलकर गाँव लोहारी जाटू मे प्रस्थान करते है और वही पे अपना धुणा लगा लेते है| फिर बही तालाब के पास तपस्या करने लग जाते है और उनकी तपस्या का जिक्र बहुत दूर दूर तक फ़ैल जाता है तथा सिद्ध महात्मा के रूप मे विख्यात हो जाते है | फिर कविराज बाबा जगन्नाथ के सम्पूर्ण जीवन चरित्र का उल्लेख एक रचना मे किस प्रकार करता है |

जवाब – कवि का भजन – 1

धोला बाणा चंद्रवंशी, घोडे पै असवार,
परमहंस जगन्नाथ महात्मा कलयुग का अवतार ।। टेक ||

भक्ता के दुःख दूर करणिया सबनै बेरा सै
जिसपै होज्य प्रसन्न उसनै अन्न धन देरया सै
जगन्नाथपूरी का दुनिया मे म्हा प्रसिद डेरा सै
कहया करै थे सामाण मे गुरु भाई मेरा सै
सामाण गाम मै बाबा साल रह्या था चार।।

फिर उड़ै तै आया बाबा ग्राम लुहारी मै,
तुरिया पद मै लगा समाधि अटल अटारी मै,
चोला छोड़कै घुम्या करदा दुनियां सारी मै,
गोपीचंद भरथरी मिलते आण दोह्फारी मै,
सुन्दर शान फकीरी बाणा चंदा सी उणिहार।।

इस बाबा नै नर नारी कोए पूजण आवैगा
बिन मांग्या वरदान मिलै ना खाली जावैगा,
मनसा पूरी हो माणस की मौज उड़ावैगा,
सच्चे दिल तै याद करै तो धोरै पावैगा,
संकट दूर करै भक्ता का होज्या बेड़ा पार।।

इस बाबा जगन्नाथपुरी का चेला मंगणीराम ,
चेली मामकौर थी सेवा मै सुबह शाम ,
ताल सरोवर शिव का मंदिर धोरै दुर्गे धाम,
राजेराम ब्रहामण का भी खास लुहारी गाम,
जीटी रोड़ गया धोरै कै हांसी और हिसार।।

वार्ता – सज्जनों | एक बार का जिक्र है कि बाबा जगन्नाथ अपनी तपस्या मे लगे हुए थे और सेवक आते जाते थे और अपनी तपस्या के लिए बहुत दूर–दूर तक प्रसिद्ध थे | फिर उसी गाँव लोहारी जाटू मे एक औरत निसन्तान थी | वह अपने पति से कहती है कि हमको भी संतान उत्पति के लिए बाबा जगन्नाथ तपधारी के पास जाकर उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए और वह औरत बाबा जगन्नाथ के प्रति अपनी आस्था के बारे मे अपने पति से क्या कहती है |

जवाब – औरत का अपने पति से | भजन – 2

बाबा जगन्नाथ मेरे मन मै समाये हो || टेक ||

जगन्नाथपुरी तै चाल्या बाबा घुमण सिर्फ अकेला
पिरागराज मै कुम्भ का मेला सब संता कै गेल्या त्रिवेणी मै नहाये हो ||

फेर चाल्या आगरे तै मुथरा कांशी घुम्या शहर बरेली
फेर चालके आया देहली गुरु भाई मन के मेली सामाण मै पाए हो ||

फेर उरे तै चाल्या बाबा आया गाम लुहारी मै
ऋषि तपे थे उस क्यारी मै आण के नै दोह्फारी मै धुणें लगाये हो ||

राजेराम 18 सिद्धि इस बाबा नै पायी
परमजोत सै कला सवाई होगी मन की चाही ईश्वर के गुण गाये हो ||

वार्ता – सज्जनों | फिर उस औरत का पति भी श्रधावान था और उसकी भी ये आस्था थी कि बाबा जगन्नाथ कलयुग के अवतारी है फिर वो औरत अंपने पति के साथ बाबा के डेरे मे आ जाती है फिर बाबा के चरण स्पर्श करते ही बाबा की समाधी खुल जाती है और फिर बाबा से कहती है मेरे कोए संतान नही है और अपनी सारा दुःख प्रकट करती है फिर बाबा जगन्नाथ उस औरत को क्या आश्वाशन देते है |

जवाब – बाबा जगन्नाथ का भजन – 3

जा माई तेरै पुत्र होगा साधू नै वरदान दिया |
पूत भाग मै लिख्या नहीं था रख आई का मान दिया || टेक ||

परमेशर की परमजोत से फूल खिल्या था जल के म्हा
परमपिता श्री ब्रह्मा जी होए प्रकट फूल कमल के म्हा
फूल की नाल पकड़के ब्रह्मा पोंह्चे रसातल के म्हा
अंत नाल का आया कोन्या सोचण लागे दिल के म्हा
फेर बैठ फूल पै करी तपस्या रचा सकल जिहान दिया ||

अश्वैपति की सावित्री नै धर्मराज तै वर पाया
सास- ससुर नै नेत्र देदे राजपाट और धन माया
राज दिया तै न्यू बोली मेरै भाई कोन्या माँ जाया
भाई दिया तो न्यू बोली मनै भी एक पुत्र चाह्या
पुत्र दिया तो न्यू बोली तनै कोन्या सत्यवान दिया ||

उज्जैन पूरी मै आया करते गोरख योगी बालजती
गंधर्व सैन गये धुणें पै गैल्या राणी पानवती
गोरख बोले होई उदासी महराणी क्यों मंदमति
राणी बोली इस दुनिया मै बिन पुत्र सै नहीं गति
भरत का होया भरतरी राजा गोरख नै ऐलान दिया ||

लख्मीचंद बसै थे जांटी ढाई कोस ननेरा सै
पुर कै धोरै गाम पाणछी म्हारे गुरु का डेरा सै
पुर कै धोरै हांसी रोड़ पै गाम लुहारी मेरा सै
राजेराम कहै कर्मगति का नही किसे नै बेरा सै
20 कै साल पाणछी के म्हा म्हारे गुरु नै ज्ञान दिया ||

वार्ता – सज्जनों | बाबा जगन्नाथ के आशीर्वाद देने के बाद भी वह अपने घर नही जाती है तो बाबा जगन्नाथ फिर दोबारा बाबा जगन्नाथ क्या कहता है ||

जवाब – बाबा जगन्नाथ का | भजन – 4 (तर्ज़ – मौसी थर थर कांपै गात )

माई यो साधू का अस्थान चली जा घरा आपणै || टेक ||

माई कर संतोष शरीर मै, माई करू के तेरी तक़दीर मै
लिखी नहीं संतान चली जा घरा आपणै ||

सावित्री नै यम वचना मै दे लिया, पति मांग्या था पुत्र भी ले लिया
ल्याई मरया जिवाके सत्यवान चली जा घरा आपणै ||

मोहनी रूप नै शिवजी मोह लिया, पारा सप्तऋषिया नै टोह लिया
होया अंजनी कै हनुमान चली जा घरा आपणै ||

माई रटै नै माला कृष्ण श्याम की, भजन मै श्रुति राजेराम की
माई भली करैंगे भगवान चली जा घरा आपणै ||

वार्ता – सज्जनों | फिर वो अपने घर चली जाती है फिर उस औरत के जाने के बाद बाबा जगन्नाथ उस औरत के लिए संतान मांगने के लिए अपनी सिद्धि से चोला/खोड़ छोडके धर्मराज के पास जाता है लेकिन धर्मराज भी संतान उत्पति कर वरदान देने दे मना कर देते है और धर्मराज कहते है कि इस औरत के भाग्य मे तो कोई भी संतान नहीं है अब तो आप अपनी तपस्या और सिद्धि से ही इसको संतान प्राप्त कराओ | फिर इतनी सुनकर बाबा जगन्नाथ धर्मराज के अस्थान से वापिस अपने अस्थान मे आकर अपनी खोड़ / शरीर धारण कर लेते है| फिर बाबा जगन्नाथ अपने मानव रूप मे आने के बाद उस प्रभु की माया के बारे मे अपने मन मे क्या सोचते है |

जवाब – बाबा जगन्नाथ का | भजन – 5

कैसी तेरी दुनिया सै करतार || टेक ||

हाथी घोड़ा बैठ पालकी मै घुमै राजकुवार
कोए बिचारा लकड़हारा ढोवै सिर पै भार ||

दुनिया जीमै सदाव्रत मै कोए सेठ साहूकार
कोए भिखारी जिन्दगी सारी मांगै भीख बजार ||

किसे किसे के भरे खजाने माया के भण्डार
घर मै एक पूत नै तरसै बाँझ बिचारी नार ||

मात-पिता बंधू सुत नारी मिंत्र रिश्तेदार
राजेराम जमाना दुखी आपस मै बिन प्यार ||

वार्ता – सज्जनों | बाबा जगन्नाथ उस औरत को संतान का वरदान पहले ही दे चुके थे फिर उस औरत को कुछ दिन के बाद एक कन्या ने जन्म लिया और फिर उस औरत ने वरदान लेते ही बाबा को वचन दिया था कि जो भी संतान होगी मै आपको चढ़ाउंगी | इस तरह फिर वो कन्या मामकौर कुछ दिन बाद 11-12 साल की हो जाती है फिर वो औरत उस कन्या रूपी रत्न को बाबा जगन्नाथ को चढा देती है | फिर बाबा जगन्नाथ उसको शिष्या बना लेता है और फिर वो कन्या मामकौर बाबा जगन्नाथ की सेवा करती रहती है | फिर कुछ दिन बाद गोपीचंद भरथरी दोह्फारी मे बाबा जगन्नाथ के पास मिलने आते है और बाबा को कहते है की हे तपस्वी चलो घुमने के लिए चलते है तो उस समय तो बाबा जगन्नाथ गोपीचंद भरथरी के साथ नही गये लेकिन कुछ दिन बाबा जगन्नाथ चोला/खोड़ छोड़कर घुमने के लिए जाने लगे तो अपनी सेविका मामकौर को कहते है कि मै जब तक घूमकर वापिस नहीं लौटता हूँ तब तक तुम मेरी इस खोड़ का ध्यान रखना लेकिन बाबा जगन्नाथ लम्बे समय तक नहीं आये तो सेविका मामकौर के बहुत अर्ज करने के बाद बाबा के शरीर/खोड़ को निर्जीव समझकर दफना दिया | फिर खोड़ को दफ़नाने के कुछ दिन बाद जब बाबा जगन्नाथ वापिस आते ही तो चेली मामकौर पीछे का सारा वृतांत बताकर रोने लग जाती है और कहती है कि मेरी कोई पेश भी नहीं चली तो बाबा जगन्नाथ अपनी सेविका मामकौर की दुखभरी कहानी सुनकर कहता है की जो हो गया वो उस प्रभु की ही इच्छा थी | फिर कहता है कि पीछे की बातो को भूल जाओ तथा आगे की सुध लो और फिर उसके बाद बाबा जगन्नाथ अपनी चेली मामकौर को अपनी उस यात्रा के बारे मे क्या कहते है |

दोहा –
बाबा – चेली क्यू उदास पायी के होगी इसी काली |
छोडके गया था तनै खोड़ की रुखाली ||

चेली – खोड़ दफणादी बाबा आये हाली – पाली |
रोवती ऐ रहगी बाबा पेश कोन्या चाली ||

जवाब – बाबा जगन्नाथ का चेली मामकौर से | भजन – 6

देख लिया मनै घूम जमाना ईब घूमता फिरू नहीं
तेरै पास रहूँगा बेटी कदे बिछोहवा करू नही || टेक ||

तुर्या पद मै लगा समाधी जीव दशमे द्वार गया
उतरकाशी फेर अयोध्या घुमण हरिद्वार गया
8 योग 18 सिद्धि छोड़ आश्रम चार गया
ॐ भूर्भवः सतलोक मै शब्द निधि से पार गया
अमर आत्मा जीव अनादि जन्म लेत कदे मरू नही ||

भोला पार्वती मिलगे मै सुमेरु कैलाश गया
परमलोक मै परमपिता फेर ब्रह्मा जी कै पास गया
इन्द्रासन मै हूर नाचती देखण उनका रास गया
36 राग गन्धर्वा तै सुण भाज भ्रम विश्वास गया
तेरै क्यूकर हो यकीन बात का बोलके पेटा भरू नहीं ||

इन्द्रलोक सुरगपुरी देखी फेर सतलोक मै गया चल्या
सनक सनन्दन संतकुमार मनै ऋषि फेटगे बाल खिला
फेर गया बैकुण्ठ धाम नै लिछमी और भगवान मिल्या
लख चौरासी जियाजुन मै परमजोत सै वाहे कला
सप्तऋषि त्रिशंकु दिखै दूर उड़ै तै धरू नहीं ||

फेर लख्मीचंद की जांटी देखी आके दुनियादारी मै
फेर उड़ै तै गया पाणछी बैठके मोटर लारी मै
वा जगाह ध्यान मै आई कोन्या देख्या सांग दोह्फारी मै
राजेराम घूमके सारै फेर आया गाम लुहारी मै
मनै सारै टोह्या किते पाया मांगेराम जिसा गुरु नहीं ||

Language: Hindi
761 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वो मुझे रूठने नही देती।
वो मुझे रूठने नही देती।
Rajendra Kushwaha
क्यों पढ़ा नहीं भूगोल?
क्यों पढ़ा नहीं भूगोल?
AJAY AMITABH SUMAN
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
"किस बात का गुमान"
Ekta chitrangini
आउट करें, गेट आउट करें
आउट करें, गेट आउट करें
Dr MusafiR BaithA
पूर्णिमा की चाँदनी.....
पूर्णिमा की चाँदनी.....
Awadhesh Kumar Singh
पापा की तो बस यही परिभाषा हैं
पापा की तो बस यही परिभाषा हैं
Dr Manju Saini
शून्य हो रही संवेदना को धरती पर फैलाओ
शून्य हो रही संवेदना को धरती पर फैलाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Active रहने के बावजूद यदि कोई पत्र का जवाब नहीं देता तो वह म
Active रहने के बावजूद यदि कोई पत्र का जवाब नहीं देता तो वह म
DrLakshman Jha Parimal
*पापी पेट के लिए *
*पापी पेट के लिए *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
बेवफा
बेवफा
RAKESH RAKESH
वसंत पंचमी
वसंत पंचमी
Bodhisatva kastooriya
3250.*पूर्णिका*
3250.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अनेक को दिया उजाड़
अनेक को दिया उजाड़
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
खुदा की हर बात सही
खुदा की हर बात सही
Harminder Kaur
नमन माँ गंग !पावन
नमन माँ गंग !पावन
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
(20) सजर #
(20) सजर #
Kishore Nigam
तसव्वुर
तसव्वुर
Shyam Sundar Subramanian
फिर से जीने की एक उम्मीद जगी है
फिर से जीने की एक उम्मीद जगी है "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित कर लेता है उसको दूसरा कोई कि
जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित कर लेता है उसको दूसरा कोई कि
Rj Anand Prajapati
"मेरा गलत फैसला"
Dr Meenu Poonia
*कुकर्मी पुजारी*
*कुकर्मी पुजारी*
Dushyant Kumar
"ताकीद"
Dr. Kishan tandon kranti
बचपन खो गया....
बचपन खो गया....
Ashish shukla
समाज के बदल दअ
समाज के बदल दअ
Shekhar Chandra Mitra
मेरे नयनों में जल है।
मेरे नयनों में जल है।
Kumar Kalhans
लिखना है मुझे वह सब कुछ
लिखना है मुझे वह सब कुछ
पूनम कुमारी (आगाज ए दिल)
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
ओनिका सेतिया 'अनु '
" खुशी में डूब जाते हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
Loading...