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31 Jul 2016 · 1 min read

साथ

जिनके साथ चले हम घर से
वे तो दूर बड़े रे निकले
सोचा चोट अब स्वस्थ हो गई
देखा घाव घनेरे निकले
जिनको समझ रौशन सूरज
वो घोर अँधेरे निकले
सोचा कुछ नई भाषा सीखें
वे तो मोर बटेरे निकले

Language: Hindi
11 Likes · 457 Views
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