साथियों बात यह मानो — मुक्तक
साथियों बात अब मानो,वक़्त की कीमत पहचानो।
जैसे यह चल रहा है आज, गति इसकी तो पहचानो।
करना है खुद की हिफाजत भी,बदलनी होगी आदत भी,
भीड़ को छोड़कर चलना,दूरियों से ही पहचानो।।
राजेश व्यास अनुनय
साथियों बात अब मानो,वक़्त की कीमत पहचानो।
जैसे यह चल रहा है आज, गति इसकी तो पहचानो।
करना है खुद की हिफाजत भी,बदलनी होगी आदत भी,
भीड़ को छोड़कर चलना,दूरियों से ही पहचानो।।
राजेश व्यास अनुनय