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12 Jun 2016 · 1 min read

सागर

सूक्ष्म की सतह धरे
लहर का विकार है
अंतः अलंकार पर
रतनों का अम्बार है

नौ पर मुझसे मिलना
सतही मुलाक़ात है
अनगिनित जन्तुओं का
कोख में फुलवार है

अनसुनी ताज़गी लेकर
डूबी नदियां अथार हैं
कहते सागर मुझको
इंसान सा आकर है

~ सूफ़ी बेनाम

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 461 Views
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