मन के द्वेष मिटाने हों गे
मन के द्वेष मिटाने होंगे
विधा-गीतिका
प्रदत्त समान्त -आने
पदान्त -होंगे,अन्त में २गुरु
सममात्रिक,मात्रा-१६
मन के द्वेष मिटाने होंगे।
पग उस ओर बढ़ाने होंगे।।(१)
जो भी रूठे हैं, होली में,
रूठे सभी मनाने होंगे।(२)
बेतरतीब हुए रिश्त़ों को,
जामें नव पहनाने होंगे।(३)
जीवन की उजड़ी बस्ती में,
घर अब नये बनाने होंगे।(४)
सुर जो छूट गये हैं पीछे,
गाने उनके गाने होंगे।(५)
शुचिता की परिभाषा क्याहै,
अर्थ पुन:बतलाने होंगे।(६)
दुनिया में बढ़ने की खातिर,
रिश्ते नये बनाने होंगे।(७)
कोरोना से लड़ने के गुर,
दुनिया को सिखलाने होंगें।।(८)