Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2017 · 2 min read

“सही हूँ मैं”

??”सही हूँ मैं”??

“8मार्च,महिला दिवस,महिला सशक्तिकरण,महिला जागरूकता,महिला आरक्षण,आज की महिला,हर क्षेत्र में आगे बढ़ती महिला………ये वे वजनी शब्द हैं जो महिला सम्मेलनों में प्रबुद्ध वर्ग द्वारा प्रयुक्त होंगे इस माह,पर वास्तव में खोखले शब्द जिनका एक आध अपवादों को छोड़कर कोई अस्तित्व नहीं”
उस अजन्मी को मौत रूपी दूसरी जिन्दगी को सौंपकर शीला बाहर से भले ही निश्चिंत लग रही थी पर उसके अन्तर्मन में अभी भी एक टीस सी थी जो उसे रह रहकर व्यथित कर रही थी,जो सारे बंध तोड़ विधाता की इस सृष्टि को कम्पित करने को मचल रह थी|
आज आठ मार्च था,चारों ओर महिला दिवस का शोर था|
अखबार,पत्रिकाएँ,टीवी चैनल सब महिला दिवसमय हो रहे थे|नगरों, महानगरों,राजधानियों में विशेष तौर पर महिला सम्मेलनों का आयोजन किया गया था|बड़े बड़े आयोजन,बड़े बड़े भाषण,बड़ी बड़ी हस्तियाँ सब कुछ बड़ा था|पर छोटे छोटे गाँवों,छोटे छोटे कस्बों,छोटे छोटे घरों में कई छोटी छोटी आशाएँ थीं,कई छोटी छोटी हिम्मतें थीं जो दम तोड़ रहीं थीं|
अखबार आधा सच और आधा झूठ समेटे हुए सामने पड़ा था|जहाँ उसके अग्रिम पन्ने आधे झूठ से सने थे,वही उसके स्थानीय पृष्ठ आधे सच को उघाड़ रहे थे|कुछ सच्चाइयाँ ऐसी होती हैं जो घटित होती हैं परन्तु खबरों का हिस्सा नहीं बन पाती|क्योंकि वो चुपचाप घटित हो जाती हैं|
लेकिन ये सच्चाई शीला के मौन को उद्वेलित कर रही थी|अगले ही पल शीला ने बौखला कर इस द्वन्द को दूर झटक कर फैंकना चाहा,”आखिर ये मेरा ही तो फैसला था और इसमें गलत क्या है?जीवन में इतना कुछ गलत होता रहा मेरे साथ कदम कदम पर एक औरत होने के कारण,क्या उसे रोक पायी मैं? नहीं न,फिर अब ये मंथन क्यों?इस एक गलत काम को करके शायद मैं आगे होने वाले कई गलत व्यवहारों को रोक सकी हूँ|हाँ,मैं सही हूँ,सही हूँ मैं|”
कभी इन बेतुकी दलीलों की मुखर विरोधी,नारी जागरूकता की प्रखर वक्ता,सही और गलत पर विशेष सोचने वाली शीला ने अपने जीवन में ऐसा क्या अनुभव किया? जो वह इतना बदल गयी और आज अपना गलत कदम भी उसे सही लग रहा था|
✍हेमा तिवारी भट्ट✍

|

Language: Hindi
1 Like · 423 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तड़प कर मर रही हूं तुझे ही पाने के लिए
तड़प कर मर रही हूं तुझे ही पाने के लिए
Ram Krishan Rastogi
★
पूर्वार्थ
"जल"
Dr. Kishan tandon kranti
सिर्फ तुम्हारे खातिर
सिर्फ तुम्हारे खातिर
gurudeenverma198
हम अपनी आवारगी से डरते हैं
हम अपनी आवारगी से डरते हैं
Surinder blackpen
दंभ हरा
दंभ हरा
Arti Bhadauria
💐प्रेम कौतुक-364💐
💐प्रेम कौतुक-364💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
भारत का लाल
भारत का लाल
Aman Sinha
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
मोहब्बत अधूरी होती है मगर ज़रूरी होती है
मोहब्बत अधूरी होती है मगर ज़रूरी होती है
Monika Verma
हिन्दी दोहा -भेद
हिन्दी दोहा -भेद
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
🙏❌जानवरों को मत खाओ !❌🙏
🙏❌जानवरों को मत खाओ !❌🙏
Srishty Bansal
शाम सुहानी
शाम सुहानी
लक्ष्मी सिंह
बड़ी मादक होती है ब्रज की होली
बड़ी मादक होती है ब्रज की होली
कवि रमेशराज
चमचम चमके चाँदनी, खिली सँवर कर रात।
चमचम चमके चाँदनी, खिली सँवर कर रात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
यहाँ पाया है कम, खोया बहुत है
यहाँ पाया है कम, खोया बहुत है
अरशद रसूल बदायूंनी
Swami Vivekanand
Swami Vivekanand
Poonam Sharma
हिम्मत कभी न हारिए
हिम्मत कभी न हारिए
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ख़ुद से हमको
ख़ुद से हमको
Dr fauzia Naseem shad
चल विजय पथ
चल विजय पथ
Satish Srijan
किसी पत्थर पर इल्जाम क्यों लगाया जाता है
किसी पत्थर पर इल्जाम क्यों लगाया जाता है
कवि दीपक बवेजा
2864.*पूर्णिका*
2864.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रक्षक या भक्षक
रक्षक या भक्षक
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
*नेताजी के सिर्फ समय की, कीमत कुछ होती है (हास्य-व्यंग्य गीत
*नेताजी के सिर्फ समय की, कीमत कुछ होती है (हास्य-व्यंग्य गीत
Ravi Prakash
जल संरक्षण बहुमूल्य
जल संरक्षण बहुमूल्य
Buddha Prakash
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
Mukesh Kumar Sonkar
सुस्त हवाओं की उदासी, दिल को भारी कर जाती है।
सुस्त हवाओं की उदासी, दिल को भारी कर जाती है।
Manisha Manjari
बोल हिन्दी बोल, हिन्दी बोल इण्डिया
बोल हिन्दी बोल, हिन्दी बोल इण्डिया
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अर्थ  उपार्जन के लिए,
अर्थ उपार्जन के लिए,
sushil sarna
Loading...