Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Oct 2017 · 3 min read

सही समय की पहचान ही बदलाव का नया रास्ता

समय की पहचान आज के युग में बहुत बड़ी आवश्यकता बन गयी है जो समय के साथ नही चला वह पीछे ही नहीं विकास की मुख्य धारा से भी कट जाएगा , क्योंकि परिवर्तन ही जिंदगी का दूसरा रूप है जब तक बदलाव नही होगा प्रगति सम्भव नही। तालाब का ठहरा पानी धीरे धीरे खराब हो जाता है जबकि वही पानी नदी में स्वच्छ रहता है यह उसके बहते रहने के कारण संभव है बदलाव के कारण सम्भव है ।

उदाहरण के रूप में हम कह सकते है एक चट्टान जो कितनी दृढ़ होती है आसानी से हम उसे नही तोड़ सकते । उसी चट्टान को पानी धीरे धीरे घिसकर कोमल मिट्टी में परिवर्तित कर देता है जबकि पानी का स्वभाव कितना कोमल होता है लेकिन उसका यही स्वभाव चट्टान को टूटने पर मजबूर कर देता है । हमे अपना स्वभाव पानी की तरह बनाना चाहिए ,जो अपना रास्ता खुद निकाल ले ।अगर रस्ते में रुकावटें आये तो भी हम रुके नहीं पानी की तरह इधर उधर कहीं न कहीं रास्ता खोजने का प्रयास करें । क्योंकि अगर पानी को कोई ज्यादा मात्रा में रोकने की कोशिश करता है तो फिर बांध टूटकर बढ़ आना निश्चित है ठीक उसी प्रकार अगर हमारा प्रयास काफी मात्रा में होगा तो एक दिन सफलता भी बाढ़ के रूप में मिलना निश्चित है

जिंदगी ईश्वर का दिया हुआ एक अनमोल तोहफा है जो बहुत ही पुण्य कर्मों के बाद हमें मिला है जिस प्रकार हम अपनी अगली पीढ़ी के लिए धन से लेकर सुख सुविधओं की हर वस्तु इकट्ठा करने में पूरा जीवन गुजार देते है उसी प्रकार अपने अगले जन्म के लिए भी कुछ न कुछ अर्जन करना आवश्यक है और वह हम केवल किसी मंदिर या मस्जिद में बैठकर ही नहीं कर सकते समाज मे ब्याप्त बुराइयों के खिलाफ अपना सहयोग देकर,असहाय और निरीह प्राणियों की सहायता करके भी कर सकते हैं । इसके लिए समय की पहचान बहुत ही आवश्यक है समाज की हर स्थिति पर हमारी कड़ी नजर जरूरी है । एक जागरूक नागरिक की हैसियत से या फिर मानवता की हैसियत से दोनो स्तर पर हमें अकेले ही शुरू करें चाहिए समाज तो पीछे पीछे चलने वालों की भीड़ होता है उसे एक लीडर चाहिए ,क्षमताओं की कमी नही है बस जरूरत है उसकी पहचान की जिसने उस क्षमता को पहचान लिया उसी का जीवन सार्थक हो जाता है

मनुष्य सदैव अपने कर्मो के लिए पहचाना और याद किया जाता है , कर्म ही उसे अमरत्व प्रदान करते है हमे किसी की तरह न बनकर अपना अलग रास्ता चुनना चाहिए वह रास्ता निर्माण का, रचना का , प्रगति का ,नई क्षमता का ,नए सृजन का होना चाहिए जिससे समाज मे कुछ बदलाव आ सके । आज के समाज मे देखे तो हर आदमी जाति के नाम पर धर्म के नाम पर सम्प्रदाय के नाम पर जान देने और जान लेने के लिए आतुर है क्या यही धर्म है क्या यही धर्म के प्रति आस्था दिखाने का तरीका है धर्म के नाम पर लूट चोरी यह सब एक दूसरे के पर्याय बन गए । इन सबसे ऊपर उठकर एक नए समान एक नए धर्म की स्थापना के लिए हमे सहयोग देना होगा। एक ऐसा धर्म स्थापित करना होगा जिसमें बंटवारे की कोई जगह ही न हो सब एक मानव धर्म से जुड़ जाए सभी के सहयोग से सभी के लिए एक आदर्श समाज की स्थापना हो। हम अपने आत्मबल को इतना प्रबल बनाए कि किसी संबल की आवश्यकता ही न हो स्वयं को इतना प्रसारित का दे कि समक्ष ब्यक्ति हमारे आदर्शो को आत्मसात करने के लिए स्वयं को रोक ही न पाए और यह सब करने के लिए समय की पहचान बहुत ही आवश्यक है ।

अमित मिश्र
शिक्षक
जवाहर नवोदय विद्यालय शिलांग मेघालय

Language: Hindi
Tag: लेख
1002 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तुम्हारी है जुस्तजू
तुम्हारी है जुस्तजू
Surinder blackpen
सापटी
सापटी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
ज़िंदगी की ज़रूरत के
ज़िंदगी की ज़रूरत के
Dr fauzia Naseem shad
बेटी-पिता का रिश्ता
बेटी-पिता का रिश्ता
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
सफलता तीन चीजे मांगती है :
सफलता तीन चीजे मांगती है :
GOVIND UIKEY
नव वर्ष
नव वर्ष
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – ईश्वर का संकेत और नारायण का गृहत्याग – 03
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – ईश्वर का संकेत और नारायण का गृहत्याग – 03
Sadhavi Sonarkar
21)”होली पर्व”
21)”होली पर्व”
Sapna Arora
"किरायेदार"
Dr. Kishan tandon kranti
🤔कौन हो तुम.....🤔
🤔कौन हो तुम.....🤔
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
“ बधाई आ शुभकामना “
“ बधाई आ शुभकामना “
DrLakshman Jha Parimal
हो भविष्य में जो होना हो, डर की डर से क्यूं ही डरूं मैं।
हो भविष्य में जो होना हो, डर की डर से क्यूं ही डरूं मैं।
Sanjay ' शून्य'
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Dr.Priya Soni Khare
श्राद्ध पक्ष के दोहे
श्राद्ध पक्ष के दोहे
sushil sarna
राजाधिराज महाकाल......
राजाधिराज महाकाल......
Kavita Chouhan
यथार्थवादी कविता के रस-तत्त्व +रमेशराज
यथार्थवादी कविता के रस-तत्त्व +रमेशराज
कवि रमेशराज
सोदा जब गुरू करते है तब बडे विध्वंस होते है
सोदा जब गुरू करते है तब बडे विध्वंस होते है
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
डॉ. जसवंतसिंह जनमेजय का प्रतिक्रिया पत्र लेखन कार्य अभूतपूर्व है
डॉ. जसवंतसिंह जनमेजय का प्रतिक्रिया पत्र लेखन कार्य अभूतपूर्व है
आर एस आघात
मूल्य वृद्धि
मूल्य वृद्धि
Dr. Pradeep Kumar Sharma
💐प्रेम कौतुक-158💐
💐प्रेम कौतुक-158💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हाई रे मेरी तोंद (हास्य कविता)
हाई रे मेरी तोंद (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
*कण-कण शंकर बोलेगा (भक्ति-गीतिका)*
*कण-कण शंकर बोलेगा (भक्ति-गीतिका)*
Ravi Prakash
नव वर्ष का आगाज़
नव वर्ष का आगाज़
Vandna Thakur
* राष्ट्रभाषा हिन्दी *
* राष्ट्रभाषा हिन्दी *
surenderpal vaidya
I am Me - Redefined
I am Me - Redefined
Dhriti Mishra
बाग़ी
बाग़ी
Shekhar Chandra Mitra
बचपन,
बचपन, "बूढ़ा " हो गया था,
Nitesh Kumar Srivastava
बैठी रहो कुछ देर और
बैठी रहो कुछ देर और
gurudeenverma198
2602.पूर्णिका
2602.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...