Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Aug 2018 · 1 min read

सलाम बता दिया

मैंने उन्हें सर झुकाकर मेरा सलाम बता दिया..
हाल-ए-दिल उनको अपना तमाम बता दिया..
किसीने मुझसे पूछा,
उसके होठ कैसे है…..??????
मैंने मुस्कुराकर मय-ए-जाम बता दिया…….
किसीने मुझसे पूछा,
उसके गाल कैसे है…..??????
मैंने हँसकर बस सुर्ख-ए-गुलाल बता दिया….
किसीने मुझसे पूछा,
कैसा दिखता है वो…..??????
मैंने सच में शहजादा-ए-जहां बता दिया…….
किसीने मुझसे पूछा,
कब होगी उससे मुलाकात….????
मैंने चुपचाप कयामत-ए-रात बता दिया……
किसीने मुझसे पूछा
वो तुम्हे इतना तड़पाते क्यो है…????
मैंने बस मोहब्बत-ए-इंतकाम बता दिया…..
मैंने उससे पूछा
नफरत है तुम्हे किससे……??????
“उस जालिम ने देखो “मलिक” का ही नाम बता दिया………….!!!!!!!!!!

सुषमा मलिक,
रोहतक (हरियाणा)

17 Likes · 8 Comments · 621 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-256💐
💐प्रेम कौतुक-256💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ईद मुबारक़ आपको, ख़ुशियों का त्यौहार
ईद मुबारक़ आपको, ख़ुशियों का त्यौहार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जो ले जाये उस पार दिल में ऐसी तमन्ना न रख
जो ले जाये उस पार दिल में ऐसी तमन्ना न रख
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
2324.पूर्णिका
2324.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
होली का त्यौहार
होली का त्यौहार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
कहां गए बचपन के वो दिन
कहां गए बचपन के वो दिन
Yogendra Chaturwedi
बुद्ध पुर्णिमा
बुद्ध पुर्णिमा
Satish Srijan
हमें यह ज्ञात है, आभास है
हमें यह ज्ञात है, आभास है
DrLakshman Jha Parimal
हिंदी - दिवस
हिंदी - दिवस
Ramswaroop Dinkar
दर्पण दिखाना नहीं है
दर्पण दिखाना नहीं है
surenderpal vaidya
नहीं लगता..
नहीं लगता..
Rekha Drolia
काफी लोगो ने मेरे पढ़ने की तेहरिन को लेकर सवाल पूंछा
काफी लोगो ने मेरे पढ़ने की तेहरिन को लेकर सवाल पूंछा
पूर्वार्थ
मुहब्बत हुयी थी
मुहब्बत हुयी थी
shabina. Naaz
.
.
शेखर सिंह
कल बहुत कुछ सीखा गए
कल बहुत कुछ सीखा गए
Dushyant Kumar Patel
"मकसद"
Dr. Kishan tandon kranti
मां कृपा दृष्टि कर दे
मां कृपा दृष्टि कर दे
Seema gupta,Alwar
खुशबू चमन की।
खुशबू चमन की।
Taj Mohammad
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
मुझे किराए का ही समझो,
मुझे किराए का ही समझो,
Sanjay ' शून्य'
मुझे फ़र्क नहीं दिखता, ख़ुदा और मोहब्बत में ।
मुझे फ़र्क नहीं दिखता, ख़ुदा और मोहब्बत में ।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
Radiance
Radiance
Dhriti Mishra
प्रेम ...
प्रेम ...
sushil sarna
सब्जियां सर्दियों में
सब्जियां सर्दियों में
Manu Vashistha
माचिस
माचिस
जय लगन कुमार हैप्पी
" तुम से नज़र मिलीं "
Aarti sirsat
मानवता
मानवता
विजय कुमार अग्रवाल
एक ख़्वाहिश
एक ख़्वाहिश
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
फितरती फलसफा
फितरती फलसफा
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
Loading...