सलाम ज़िंदगी….
सलाम सलाम सलाम
तुझको सलाम ज़िंदगी
हुई नज़रे इनायत तेरी
तू मेहरबॉं हो गयी..
तू ही है आगे आगे मेरे
मैं तो चल दी तेरे पीछे
उड़ती फिरूं मैं कुछ ऐसे
जैसे ना हो ज़मीं पैरो के नीचे..
तूने छुआ मुझे कुछ ऐसे
कि मैं हुई ज़ाफरानी
और महका दिया कुछ ऐसे
जैसे कि महके रात रानी..
तेरे रहमो करम की ए ज़िंदगी
मैं दिल से कायल हो गयी
ये नवाज़िश ही है तेरी कि
मैं किसी काबिल तो हो गयी..
आ..बढकर मुझको थाम ले
तेरी बॉंहों में ही समा जाऊँ
ए ज़िंदगी तेरा शुकराना
बता मैं कैसे अदा फरमाऊँ…
लीना