सर है आपका, हेलमेट भी आपका होना चाहिए।-व्यंग्य वार्ता
सर है आपका ,हैलमेट भी आपका होना चाहिए।
व्यंग्य लेख
जब दो मित्र चाय के स्टॉल पर मिले, तो गुफ्तगू कुछ इस तरह शुरूहुयी।
अंबर भाई -प्रवीण आज कल पुलिस बहुत सतर्क है।
प्रवीण- क्यों भाई क्या हुआ। अंबर भाई -आज सुना नहीं गडकरी जी का 54000 का चालान कट गया ।ना उनके पास हेलमेट था, ना लाइसेंस संबंधी प्रपत्र।
प्रवीण भाई- गजब हो गया हमारे जिले में तो आम इंसान का भी चालान नहीं कटता ।
अंबर भाई-
ठीक कह रहे हो भाई, एक मोटरसाइकिल पर तीन- तीन सवारी बिना हेलमेट लेकर चलना आम बात है नाबालिगबच्चों को स्कूटर की सवारी करते देखा है बिना हेलमेट के।
प्रवीण भाई -भाई एक व्यक्ति से कहा गया कि, हेलमेट क्यों नहीं पहना तो उसने जवाब दिया अगर चालान कटी है तो कहवाय देबो। एक फोन किया कि गाड़ी कागज समेत मिल जाई।
मैं तो हैरान था ऐसा बंदा कौन है जो गडकरी से भी ज्यादा वीआइपी है।
अंबरभाई – वह सही कह रहा था आजकल यही चलन है ,हैलमेट पहनना उनके रुतबे को कम करता है ,आखिर पुलिस उनकी मुट्ठी में है,वो ऐसा समझते हैं ।वह क्यों नहीं समझते कि कानून सबके लिए समान होता है। प्रवीण भाई -आजकल अपराधी बहुत सतर्क हो गए हैं। यातायात के नियमों का पालन करते हैं। हेलमेट पहनकर कर अपराध करते हैं ,इससे कानून का पालन भी हो जाता है ,और पहचान भी छिप जाती है ।
अंबर भाई- यह तो ठीक है आम आदमी को भी सोचना चाहिए कि सिर है आपका, उसकी सुरक्षा स्वयं की जिम्मेदारी है ।इसलिए हेलमेट पहनना जरूरी है।
प्रवीण भाई- अंबर भाई मेरी मुलाकात एक मित्र से हुई ,वह कार का अच्छा चालक था। पर उसके पास लाइसेंस नहीं था। मैंने उसे कुछ धनराशि देकर कहा अपना लाइसेंस बनवा लो ।वह एक दिन गायब रहा दूसरे दिन संदेश लेकर आया कि ,मेरा बच्चा बीमार था,उसकी दवा में सारे पैसे खर्च हो गए ।मैंने पुनः कुछ धनराशि देकर कहा ,कोई बात नहीं अब जाकर बनवा लेना। वह फिर 1 दिन बाद मुंह लटकाए खड़ा हुआ और कहा, मेरी पत्नी को डायरिया हो गया था ।दवा में फिर सारे रुपए खर्च हो गए ।
प्रवीण भाई -यह उसका बहाना है।वह ऊंची पहुंच वाला होगा ।शाम को दवा यानी शराब पार्टी में सब रुपए उड़ा दिए होंगे ।अब सोचो शाम की दवा यानी नित्य शराब का सेवन उस पर बिना हेलमेट सवारी कहां तक उचित है ।किंतु तथाकथित ऊँची वाले लोग किन आश्वासनों पर भोली भाली जनता को गुमराह करते हैं। यह आश्चर्य का विषय है। आखिर सर है आपका हेलमेट भी आपका होना चाहिए।
लेखक डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव।