Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Oct 2016 · 5 min read

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में 14 तेवरियाँ +रमेशराज

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी….1.
——————————————
हर पल असुर करेंगे बस वन्दना खलों की
बस वन्दना खलों की , नित अर्चना खलों की |
नित अर्चना खलों की , शब्दों में इनके बोले
शब्दों में इनके बोले मधुव्यंजना खलों की |
मधुव्यंजना खलों की , सज्जन के ये हैं निंदक
सज्जन के ये हैं निंदक दुर्भावना खलों की |
दुर्भावना खलों की , हर भाव में सियासत
हर भाव में सियासत , मत चौंकना खलों की |
मत चौंकना खलों की जन-जन पे आज भारी
जन-जन पे आज भारी अधिसूचना खलों की |
+ रमेशराज

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी….2.
———————————————
वो हो गया है जादू , गर्दन छुरी को चाहे
गर्दन छुरी को चाहे , अबला बली को चाहे |
अबला बली को चाहे , बलवान ‘ रेप ‘ करता
बलवान ‘ रेप ‘ करता , मन उस खुशी को चाहे
मन उस खुशी को चाहे , जिसमें भरी है हिंसा
जिसमें भरी है हिंसा , उस गुदगुदी को चाहे
उस गुदगुदी को चाहे , जो जन्म दे रुदन को
जो जन्म दे रुदन को , उस विप्लवी को चाहे |
उस विप्लवी को चाहे , जो क्रांति का विरोधी
जो क्रांति का विरोधी , उस आदमी को चाहे |
+ रमेशराज

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी….3.
—————————————————————–
माँ मांगती दुआएँ बच्चों का पेट भर दे
बच्चों का पेट भर दे , कुछ रोटियाँ इधर दे |
कुछ रोटियाँ इधर दे ‘ इतना करम हो मौला
इतना करम हो मौला , छोटा-सा एक घर दे |
छोटा-सा एक घर दे , कब तक जियें सड़क पर
कब तक जियें सड़क पर , खुशियों-भरा सफर दे |
खुशियों-भरा सफर दे , हम परकटे-से पंछी
हम परकटे-से पंछी , हमको हसीन पर दे |
हमको हसीन पर दे , माँ कह रही खुदा से
माँ कह रही खुदा से बच्चों को शाद कर दे |
+ रमेशराज

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी….4.
————————————————
अब दे रहे दिखाई सूखा के घाव जल में
सूखा के घाव जल में , जल के कटाव जल में |
जल के कटाव जल में , मछली तड़प रही हैं
मछली तड़प रही हैं , मरु का घिराव जल में |
मरु का घिराव जल में , जनता है जल सरीखी
जनता है जल सरीखी , थल का जमाव जल में |
थल का जमाव जल में , थल कर रहा सियासत
थल कर रहा सियासत , छल का रचाव जल में |
छल का रचाव जल में , जल नैन बीच सूखा
जल नैन बीच सूखा , दुःख का है भाव जल में |
+ रमेशराज

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी….5.
————————————————–
बस दास-भाव वाला हम में है रक्त जय हो
हम में है रक्त जय हो, हम उनके भक्त जय हो |
हम उनके भक्त जय हो , जो हैं दबंग-गुंडे
जो हैं दबंग-गुंडे , जो सच से त्यक्त जय हो |
जो सच से त्यक्त जय हो , जयचंद-मीरजाफर
जयचंद-मीरजाफर में निष्ठा व्यक्त जय हो |
जय हो विभीषणों की , कलियुग के कौरवों को
कलियुग के कौरवों को करते सशक्त जय हो |
करते सशक्त जय हो , भायें हमें विदेशी
भायें हमें विदेशी , हम देश-भक्त जय हो |
+रमेशराज

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी….6.
————————————————
कुछ भी न होगा प्यारे, सत्ता बदल-बदल के
सत्ता बदल-बदल के, इस रास्ते पे चल के |
इस रास्ते पे चल के , तुझको छलेंगे रहबर
तुझको छलेंगे रहबर , गर्दन गहें उछल के |
गर्दन गहें उछल के , फिर जेब तेरी काटें
फिर जेब तेरी काटें , इस राह के धुंधलके |
इस राह के धुंधलके , तुझको न जीने देंगे
तुझको न जीने देंगे, होना न कुछ उबल के |
होना न कुछ उबल के , सिस्टम बदलना होगा
सिस्टम बदलना होगा, तब नूर जग में झलके |
+ रमेशराज

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी….7.
———————————————–
पड़नी है और तुझ पे , टेक्सों की मार प्यारे
टेक्सों की मार प्यारे , नित झेल वार प्यारे |
नित झेल वार प्यारे, मिलना न न्याय तुझको
मिलना न न्याय तुझको , चुभनी कटार प्यारे |
चुभनी कटार प्यारे , बाबू की अफसरों की
बाबू की अफसरों की , आरति उतार प्यारे |
आरति उतार प्यारे , महंगाई झेल हर दिन
हर दिन बजट पे तेरे, डाके हज़ार प्यारे |
डाके हज़ार प्यारे , शासन बना लुटेरा
शासन बना लुटेरा , अब तो विचार प्यारे |
+ रमेशराज

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी….8.
—————————————————
कुछ देश-भक्त बन के , अब खा रहे वतन को
अब खा रहे वतन को , हर भोर की किरन को |
हर भोर की किरन को तम में बदल रहे हैं
तम में बदल रहे हैं , सुख से भरे चलन को |
सुख से भरे चलन को दुःख-दर्द दे रहे हैं
दुःख-दर्द दे रहे हैं , हर एक भोले मन को |
हर एक भोले मन को , अंगार भेंट करते
अंगार भेंट करते , तैयार हैं हवन को |
तैयार हैं हवन को , ये देश-भक्त बन कर
ये देश-भक्त बन कर , नित लूटते चमन को |
+ रमेशराज

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी….9.
————————————————-
सब सूदखोर घेरे , अब क्या करेगा ‘होरी ‘
अब क्या करेगा ‘होरी ‘, भूखा मरेगा ‘होरी ‘|
भूखा मरेगा ‘होरी ‘, घर में न एक दाना
घर में न एक दाना , गिरवी धरेगा ‘होरी ‘|
गिरवी धरेगा ‘होरी ‘, धनिया के कंगनों को
धनिया के कंगनों को , फिर भी डरेगा ‘होरी ‘|
फिर भी डरेगा ‘होरी ‘, कर्जा है अब भी बाक़ी
कर्जा है अब भी बाक़ी, ये भी करेगा होरी |
ये भी करेगा होरी , बैलों को बेच देगा
बैलों को बेच देगा , कर्जा भरेगा ‘होरी ‘|
+ रमेशराज

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी….10.
————————————————
जनता की जेब सत्ता , बस आजकल टटोले
बस आजकल टटोले , ‘ करना विकास ‘ बोले |
‘ करना विकास ‘ बोले , ऐसे नियम बनाए
ऐसे नियम बनाए , दागे नियम के गोले |
दागे नियम के गोले , कर-जोड़ खड़ी जनता
कर-जोड़ खड़ी जनता , अपनी जुबां न खोले |
अपनी जुबां न खोले , बस कांपती है थर-थर
बस कांपती है थर-थर , सत्ता के देख ओले |
+ रमेशराज

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी….11.
———————————————–
दिन देश-भर में अच्छे लायेंगे अब विदेशी
लायेंगे अब विदेशी , आयेंगे अब विदेशी |
आयेंगे अब विदेशी दौलत यहाँ लुटाने
दौलत यहाँ लुटाने, भाएंगे अब विदेशी |
भाएंगे अब विदेशी , सेना में रेलवे में
सेना में रेलवे में , गायेंगे अब विदेशी |
गायेंगे अब विदेशी , “अब है हमारा भारत”
भारत के काजू -पिश्ता खायेंगे अब विदेशी |
खायेंगे अब विदेशी , करके हलाल मुर्गा
मुर्गा-सरीखा हमको पाएंगे अब विदेशी |
+ रमेशराज

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी….12.
————————————————
तम के हैं आज जारी हर रोशनी पे हमले
हर रोशनी पे हमले , अब ज़िन्दगी पे हमले |
अब ज़िन्दगी पे हमले , नित मौत कर रही है
नित मौत कर रही है मन की खुशी पे हमले |
मन की खुशी पे हमले , दुःख-दर्द कर रहे हैं
दुःख-दर्द कर रहे हैं सुख की नदी पे हमले |
सुख की नदी पे हमले सूखा के हो रहे हैं
सूखा के हो रहे हैं हर सू नमी पे हमले |
हर सू नमी पे हमले , मरुथल-सी ज़िन्दगी है
मरुथल ने कर दिए हैं खिलती कली पे हमले |
+ रमेशराज

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी….13.
———————————————–
मातों-भरा है जीवन , जनता की जय कहाँ है
जनता की जय कहाँ है , आनन्द-लय कहाँ है |
आनन्द-लय कहाँ है , दुःख-दर्द हैं घनेरे
दुःख-दर्द हैं घनेरे , सुख का विषय कहाँ है |
सुख का विषय कहाँ है, संघर्षमय है जीवन
संघर्षमय है जीवन , रोटी भी तय कहाँ है |
रोटी भी तय कहाँ है , बस भुखमरी का आलम
बस भुखमरी का आलम , दुःख पर विजय कहाँ है |
दुःख पर विजय कहाँ है , केवल बुढ़ापा घेरे
केवल बुढ़ापा घेरे , उन्मुक्त वय कहाँ है |
–रमेशराज

‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में तेवरी….14.
————————————————
हम पे कुनीतियों के कोड़ों की मार क्यों है ?
कोड़ों की मार क्यों है ? शासन कटार क्यों है ?
शासन कटार क्यों है ? सोचेगा बोल कब तू
सोचेगा बोल कब तू , हर बार हार क्यों है ?
हर बार हार क्यों है ? गुंडों को चुन न प्यारे
गुंडों को चुन न प्यारे , गुंडों से प्यार क्यों है ?
गुंडों से प्यार क्यों है ? सुधरे न ऐसे सिस्टम
सुधरे न ऐसे सिस्टम , ऐसा विचार क्यों है ?
ऐसा विचार क्यों है ? सत्ता बदलना हितकर
सत्ता बदल दी अब भी तुझको बुखार क्यों है ?
+ रमेशराज
——————————————————————–
-रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़-202001
Mo.-9634551630

Language: Hindi
249 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मजबूत इरादे मुश्किल चुनौतियों से भी जीत जाते हैं।।
मजबूत इरादे मुश्किल चुनौतियों से भी जीत जाते हैं।।
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
घाव मरहम से छिपाए जाते है,
घाव मरहम से छिपाए जाते है,
Vindhya Prakash Mishra
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
Neerja Sharma
मेघ
मेघ
Rakesh Rastogi
कसीदे नित नए गढ़ते सियासी लोग देखो तो ।
कसीदे नित नए गढ़ते सियासी लोग देखो तो ।
Arvind trivedi
लिबास दर लिबास बदलता इंसान
लिबास दर लिबास बदलता इंसान
Harminder Kaur
2642.पूर्णिका
2642.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
पढ़ने की रंगीन कला / MUSAFIR BAITHA
पढ़ने की रंगीन कला / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
जीवन से पलायन का
जीवन से पलायन का
Dr fauzia Naseem shad
नव वर्ष
नव वर्ष
RAKESH RAKESH
'सफलता' वह मुकाम है, जहाँ अपने गुनाहगारों को भी गले लगाने से
'सफलता' वह मुकाम है, जहाँ अपने गुनाहगारों को भी गले लगाने से
satish rathore
तुझको मै अपना बनाना चाहती हूं
तुझको मै अपना बनाना चाहती हूं
Ram Krishan Rastogi
*गाड़ी तन की चल रही, तब तक सबको प्यार (कुंडलिया)*
*गाड़ी तन की चल रही, तब तक सबको प्यार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
शिशिर ऋतु-१
शिशिर ऋतु-१
Vishnu Prasad 'panchotiya'
Work hard and be determined
Work hard and be determined
Sakshi Tripathi
* यौवन पचास का, दिल पंद्रेह का *
* यौवन पचास का, दिल पंद्रेह का *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*दया*
*दया*
Dushyant Kumar
किसान
किसान
Bodhisatva kastooriya
दीवार में दरार
दीवार में दरार
VINOD CHAUHAN
मैं और मेरी तन्हाई
मैं और मेरी तन्हाई
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
आज तुझे देख के मेरा बहम टूट गया
आज तुझे देख के मेरा बहम टूट गया
Kumar lalit
बंगाल में जाकर जितनी बार दीदी,
बंगाल में जाकर जितनी बार दीदी,
शेखर सिंह
Every moment has its own saga
Every moment has its own saga
कुमार
अलबेला अब्र
अलबेला अब्र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
एक बेहतर जिंदगी का ख्वाब लिए जी रहे हैं सब
एक बेहतर जिंदगी का ख्वाब लिए जी रहे हैं सब
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हिंदी दोहा बिषय- बेटी
हिंदी दोहा बिषय- बेटी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"दूल्हन का घूँघट"
Ekta chitrangini
माथे की बिंदिया
माथे की बिंदिया
Pankaj Bindas
जिंदगी न जाने किस राह में खडी हो गयीं
जिंदगी न जाने किस राह में खडी हो गयीं
Sonu sugandh
"मयकश"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...