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29 Jan 2021 · 1 min read

सरहद

विहग पवन स्वच्छंद है, और नदी की धार ।
खींच लिये खुद ही मनुज,सरहद की दीवार।। १

सरहद पर दिन रात यूँ , क्यों होता है खून।
छुप जाती इंसानियत, बाँकी रहें जुनून।। २

सीमा पर डट कर खड़े, रहते वीर जवान।
मातृभूमि के वास्ते, हो जाते कुर्बान।।३

सरहद जिसका घर बना, जंग बना त्योहार।
मिट्टी का माथे तिलक,करे शत्रु संहार।। ४

सरहद पर तैनात है,खोया अपना चैन ।
नींद त्याग कर जागते, सैनिक सारी रैन।। ५

सीमा का प्रहरी रहा,बना देश की शान।
जिसका फौलादी जिगर,सीना है चट्टान।। ६

रहते सरहद पर अडिग, बना देश का ढ़ाल।
देश भक्त सच्चा वही, भारत माँ का लाल।। ७

विरह व्यथा में तप रही, कर सोलह श्रृंगार।
सजल नयन में नीर है,प्रीतम सरहद पार।। ८

सरहद के हर वीर को,माँ देती आशीष।
देश-भक्ति के वास्ते,सदा कटाना शीश।। ९

-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

Language: Hindi
1 Comment · 367 Views
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