Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Nov 2019 · 1 min read

सरहद पर जांबाज़

सबको अपनी ही पड़ी,
आम कहे या खास !

लाठी मिलकर साँप से,
रचा रही है रास !!

सरहद पर जांबाज़ जब,
जागे सारी रात !

सो पाते हम चैन से,
रह अपनों के साथ !!

✍ सत्यवान सौरभ

ईमेल: satywanverma333@gmail.com
कांटेक्ट: परी वाटिका, कौशल्या भवन , बरवा (सिवानी) भिवानी, हरयाणा – 127045
मोबाइल :9466526148,01255281381

Language: Hindi
10 Likes · 7 Comments · 279 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जब कोई आदमी कमजोर पड़ जाता है
जब कोई आदमी कमजोर पड़ जाता है
Paras Nath Jha
हे माँ अम्बे रानी शेरावाली
हे माँ अम्बे रानी शेरावाली
Basant Bhagawan Roy
मस्ती का त्योहार है होली
मस्ती का त्योहार है होली
कवि रमेशराज
रात
रात
sushil sarna
वफ़ा
वफ़ा
shabina. Naaz
प्रकाश पर्व
प्रकाश पर्व
Shashi kala vyas
"जीवनसाथी राज"
Dr Meenu Poonia
"खुदा याद आया"
Dr. Kishan tandon kranti
सताया ना कर ये जिंदगी
सताया ना कर ये जिंदगी
Rituraj shivem verma
बात न बनती युद्ध से, होता बस संहार।
बात न बनती युद्ध से, होता बस संहार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
बेटी और प्रकृति से बैर ना पालो,
बेटी और प्रकृति से बैर ना पालो,
लक्ष्मी सिंह
तेरे संग बिताया हर मौसम याद है मुझे
तेरे संग बिताया हर मौसम याद है मुझे
Amulyaa Ratan
ओझल मनुआ मोय
ओझल मनुआ मोय
श्रीहर्ष आचार्य
प्रकृति का प्रकोप
प्रकृति का प्रकोप
Kanchan verma
ऐसे दर्शन सदा मिले
ऐसे दर्शन सदा मिले
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
गांव - माँ का मंदिर
गांव - माँ का मंदिर
नवीन जोशी 'नवल'
गोलियों की चल रही बौछार देखो।
गोलियों की चल रही बौछार देखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
अश्लील साहित्य
अश्लील साहित्य
Sanjay ' शून्य'
जय माता दी ।
जय माता दी ।
Anil Mishra Prahari
सुबह-सुबह उठ जातीं मम्मी (बाल कविता)
सुबह-सुबह उठ जातीं मम्मी (बाल कविता)
Ravi Prakash
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
समझ मत मील भर का ही, सृजन संसार मेरा है ।
समझ मत मील भर का ही, सृजन संसार मेरा है ।
Ashok deep
महापुरुषों की मूर्तियां बनाना व पुजना उतना जरुरी नहीं है,
महापुरुषों की मूर्तियां बनाना व पुजना उतना जरुरी नहीं है,
शेखर सिंह
2617.पूर्णिका
2617.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*सुनकर खबर आँखों से आँसू बह रहे*
*सुनकर खबर आँखों से आँसू बह रहे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
ऋतु शरद
ऋतु शरद
Sandeep Pande
💐प्रेम कौतुक-176💐
💐प्रेम कौतुक-176💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बिलकुल सच है, व्यस्तता एक भ्रम है, दोस्त,
बिलकुल सच है, व्यस्तता एक भ्रम है, दोस्त,
पूर्वार्थ
Loading...