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24 Jul 2018 · 1 min read

सरस्वती वंदना- वीणापाणी माँ वरदानी….

“सनाई छंद”
वीणापाणी माँ वरदानी, दे सुर ताल का ज्ञान मुझे।
आन बिराजो कंठ शारदे, दे दो सुरीली तान मुझे।।

मन मंदिर में वास करो मां , मम तन निर्मल काया दे।
वाणी में माधुर्य ख़ास हो, धनधान्य रमा बन माया दे।।

मैं तेरा ही सुत हूँ माता, तेरा ही माँ मैं साधक हूँ।
शिक्षक बनके करूँ मैं सेवा, माँ तेरा ही आराधक हूँ।।

मेरी क़लम में शक्ति दे माँ, तम संहारक ये बन जाये।
अज्ञान ने जग को जकड़ रखा, जग इससे मुक्ति पा जाये।।

करूं जतन मैं अब लिखने का, माँ तेरा अब वरदान मिले।
रचे ‘कल्प’ अब रचना ऐसी, माँ जग में उसे स्थान मिले।।
✍? अरविंद राजपूत ‘कल्प’

Language: Hindi
Tag: गीत
273 Views
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