” सरयू नदी का अपवित्र व पवित्रीकरण “
हम अपने आप को बीसवी सदी का कहते हैं ठीक है उसको मानते भी हैं लेकिन इसका मतलब ये नही की हमने किसी के भी अपवित्र व पवित्रीकरण की शक्ति ले ली, किसी के वजू करने व किसी के दुग्ध प्रवाह करने से नदी पवित्र व अपवित्र नही होती…ये ” सरयू ” है जनाब किसी इंसान की औक़ात नही इसको पवित्र व अपवित्र करने की ,ये वो नदी है जिसने ” मर्यादापुरुषोत्म श्री राम ” सहित उनके दोनों भ्राताओं के जल समाधि लेने पर उनके शरीर को अपनी गोद में समेटा था सहेजा था…इतनी ताकतवर नदी को हम चंद शब्दों व चंद हरकतों से पवित्रता व अपवित्रता की सीमा में नही बाँध सकते…अगर इतनी ही चिंता परेशानी है तो आइए करिये अपनी नदियों की सफाई ( सिर्फ एक दिन नही ) कर दीजिए पहले जैसी गंगा… नदियों में गंदगी डालने वालों को सख्त सजा का प्रावधान हो…ये नदियाँ हमारा भविष्य हैं इनकी सफाई का मुद्दा गलत शब्दों में मत उलझाइये सही मायने में सुलझाइये ।
हम सबको ये प्रण लेना होगा कि हम अपनी गंदगीयों को नदियों में नही बहायेगें अगर गंदगी डालेंगे नही तो गंदगी निकालने की नौबत ही नही आयेगी फिर देखिये कैसे ये नदी ना किसी के वजू करने से अपवित्र होगी ना किसी के दुग्ध प्रवाह करने से पवित्र ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 16 – 07 – 2018 )