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13 May 2017 · 1 min read

” सरप्राइज़”

सुबह सुबह सबको यथास्थान दफ्तर,स्कूल भेजकर निवृत हुई तो सोचा कि बचा खुचा काम भी सँवार दूँ,
फिरआराम से पंखे के नीचे लेट कर नई आई रीडर्स डाइजेस्ट खोलूँगी।उसी समय मेरे किरायेदार की साँवली सलोनी पत्नी जो कुछ ही दिन पहले गाँव से आई थीबालसुलभ चपलता आँखों में लिए प्रकट हुई ,
बोली ‘दीदी हमारी शादी के बादआज इनका पहला जनमदिन है,मैने कुछ पैसे बचा कर जमा किए हैं,इन्हें सरप्राइज़ दूंगी,आप चलोगी गिफ्ट खरीदने मेरे साथ,मै तो कभी अकेले बाहर निकली नहीं हूँ।’
रजनी का उत्साह देख मेरी स्फूर्ति भी दुगुनी हो गई।
बाजार में कई चीजें देखने के बाद उसने एक खूबसूरत टाई और टाई पिन खरीदा,घर आकर मेरे निर्देशन में मेरे ही माइक्रोवेव में अपने हाथों से केक बनाया।रजनी का उत्साह आज चरम पर था ,सारी मुहब्बत ,सारा रस जैसे वो सरप्राइसेज़ में घोल देना चाहती थी।संध्या समय रमेश घर पहुँचा थोड़ी देर बाद मैं भी उसे बधाई देने सीढ़ियाँ चढ़ ऊपर पहुँची,
अभी दरवाजा खटकाने को हाथ बढा़या ही था कि
एक जोरदार चटाक के साथ मरदाना चीख सुनाई दी
तेरी हिम्मत कैसे हुई अकेले बाजार जाने की ? और ये सब खरीदने के लिए पैसे कहाँ से आए?
अपर्णा थपलियाल”रानू”
१३.०५.२०१७

Language: Hindi
1 Like · 505 Views
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