सरपंच चुनण रो टेम
ल्यो आग्यो ओ सरपंच चुनण रो टेम
मेट दय् गो ओ कईया रो भेम
कई लांबी कोई ओच्छी टेकसी
ओरां के चुल्ह पर आपगी सेकसी
अब कई आग पगाण खड़या होवगा
हाथा जोड़ी करग झूठो दुखड़ो रोवगा
सार दुख सुख गी पुछ सी घणी बातां
केसी फेर ओजु आवा काका आंता
कई दिना ताई अब रोज ईयाही केसी
ईय़ा ना करो काका थार राख्या ही रेसी
नुवां नुवां सपना स्यु गाँव न सजाऊंगा
एकर बुलावोगा तो भाज्यो ही आऊंगा
अबकाळ अबकाळ करद्यो म्हार पर रहम
ल्यो आग्यो ओ सरपंच चुनण रो टेम
मेट दय् गो ओ कईया रो भेम
नई सड़क नई नाली पास करा देस्य़ा
एक एक घर मे नुवा मकान बणा देस्या
नई नई स्कीमा गो काका फायदो दिराऊंगा
गंदो पाणी सारो गाँव स्यु बार कडाऊंगा
गलिया मे सफाई और च्यानणो घणो रेवगो
मन म राजी होग्यो काको आपान ही देवगो
काको मन मे सोच्यो ई बात म बेटा सत कोनी
थारी कहाणी मे जाणुंगा थार हु कोई बळत कोनी
झको ज़ितणो चाव है बो जात धर्म न भूलगो
कोई नहीं छोटो मोटो सब एक तराजु तुलगो
होसी खड़यो हर क्षण माथे हर काम मे आगे रेवला
साहवा का लोग ईबक उण न ही सरपंच केवला
कोई कोनी पलट इस्य चोख आदमी रो गेम
ल्यो आग्यो ओ सरपंच चुनण रो टेम
मेट दय् गो ओ कईया रो भेम ….
लक्ष्मी नारायण उपाध्याय ,साहवा