Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Feb 2021 · 1 min read

समाज का प्रभाव

समाज में
चारों तरफ जो एक अंधकारमय, घुटन भरा और
दूषित वातावरण फैल रहा है
उसका प्रभाव अब
अच्छे और संस्कारी घर परिवारों पर भी
पड़ रहा है
वह भी इस दौड़ में शामिल हो
गये हैं
इसकी चपेट में आ गये हैं
इससे प्रभावित हैं
उलझन में है
इस दलदल में फंस चुके हैं
इस समाज का हिस्सा न बने
तो नकारे जाते हैं
एक कोने में डाल दिये जाते हैं
इसमें शामिल हो तो
समाज द्वारा स्वीकारे पर
परिवार के सम्मानीय बुजुर्गों द्वारा
धिक्कारे जाते हैं
खुद की नजरों में भी गिर रहे हैं
समय की मार झेलते हैं
भविष्य में अपने बच्चों के हाथों
दुत्कारे जाते हैं
इस समस्या का समाधान क्या है
समाज का उत्थान करना आखिर
किसका दायित्व है
आधुनिकता व भौतिकतावाद की
अंधी दौड़ में
संस्कारों का पतन अवश्य ही
शर्मनाक है
अच्छे विचारों को किसी भी स्रोत से
ग्रहण करें
खुद में संस्कारों का हनन होने से
बचाना
उन्हें निरंतर संचित करते रहना
किसी व्यक्ति विशेष के ही
हाथ में है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
332 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all
You may also like:
#जिन्दगी ने मुझको जीना सिखा दिया#
#जिन्दगी ने मुझको जीना सिखा दिया#
rubichetanshukla 781
"ये कैसा दस्तूर?"
Dr. Kishan tandon kranti
मन होता है मेरा,
मन होता है मेरा,
Dr Tabassum Jahan
अतीत कि आवाज
अतीत कि आवाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*मन का समंदर*
*मन का समंदर*
Sûrëkhâ Rãthí
तन पर तन के रंग का,
तन पर तन के रंग का,
sushil sarna
फितरत
फितरत
kavita verma
3160.*पूर्णिका*
3160.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेपरवाह
बेपरवाह
Omee Bhargava
कैसा होगा मेरा भविष्य मत पूछो यह मुझसे
कैसा होगा मेरा भविष्य मत पूछो यह मुझसे
gurudeenverma198
राम समर्पित रहे अवध में,
राम समर्पित रहे अवध में,
Sanjay ' शून्य'
जिम्मेदारियाॅं
जिम्मेदारियाॅं
Paras Nath Jha
बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
आर.एस. 'प्रीतम'
माना कि दुनिया बहुत बुरी है
माना कि दुनिया बहुत बुरी है
Shekhar Chandra Mitra
■ मुक्तक-
■ मुक्तक-
*Author प्रणय प्रभात*
जीवनी स्थूल है/सूखा फूल है
जीवनी स्थूल है/सूखा फूल है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
*गुरु (बाल कविता)*
*गुरु (बाल कविता)*
Ravi Prakash
तेरी याद
तेरी याद
SURYA PRAKASH SHARMA
एक दोहा दो रूप
एक दोहा दो रूप
Suryakant Dwivedi
गर जानना चाहते हो
गर जानना चाहते हो
SATPAL CHAUHAN
कोई यहां अब कुछ नहीं किसी को बताता है,
कोई यहां अब कुछ नहीं किसी को बताता है,
manjula chauhan
फिर से आंखों ने
फिर से आंखों ने
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कविता: सजना है साजन के लिए
कविता: सजना है साजन के लिए
Rajesh Kumar Arjun
अगर किरदार तूफाओँ से घिरा है
अगर किरदार तूफाओँ से घिरा है
'अशांत' शेखर
श्री राम अर्चन महायज्ञ
श्री राम अर्चन महायज्ञ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
💐प्रेम कौतुक-365💐
💐प्रेम कौतुक-365💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*** एक दौर....!!! ***
*** एक दौर....!!! ***
VEDANTA PATEL
‘बेटी की विदाई’
‘बेटी की विदाई’
पंकज कुमार कर्ण
अपनी वाणी से :
अपनी वाणी से :
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...