*”समस्या”*
“समस्या”
समस्या कभी कहकर नहीं आती।
अचानक ही हमारे सामने आ जाती।
कभी छोटी बनकर कभी बड़ी चुनौती ले आती।
समस्या का हल सूझे ना उलझनों में उलझाती।
कठिन परिस्थिति मजबूरी में उलझाती जाती।
समय बड़ा बलवान पलभर में उलट फेर कर जाती।
कभी बात बनती कभी बिगड़ती ही जाती।
ढूढ़ते फिरते ही रहते कुछ उपाय निकाल न पाते।
अंतर्मन जब शांतचित्त से चेतना को जगाते।
धैर्य संयम साहस से समस्या को सुलझाते।
समय परिवर्तन के साथ ही प्रतिकूल बनाते।
नेक कर्म कर सारी समस्याओं को ईश्वर चरणों में छोड़ जाते।
सेवाभाव साक्षी भाव से प्रभु सुमिरन समस्या सुलझाते।
समस्याओं का निदान सरलता से निकालते।
चेतन मन से समस्याओं का हल ढूंढते जाते।
जीवन के उतार चढ़ाव में मुश्किलें अटकलें आ ही जाते।
परीक्षा की यही घड़ी सही दिशा पहचान कराते।
शशिकला व्यास✍️