Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
अमरेश गौतम'अयुज'
5 Followers
Follow
Report Content
22 Apr 2017 · 1 min read
समसामयिक
छोड़ दो कोशिशें किसी को जगाने की,
अब कहां फिक्र है किसी को ज़माने की।
Language:
Hindi
Tag:
कविता
Like
Share
1 Like
· 287 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
You may also like:
फितरत
Dr.Khedu Bharti
हर पल ये जिंदगी भी कोई ख़ास नहीं होती।
Phool gufran
मुक्तक
डॉक्टर रागिनी
फितरत जग में एक आईना🔥🌿🙏
तारकेश्वर प्रसाद तरुण
जिंदगी की राह आसान नहीं थी....
Ashish shukla
बनारस
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
दर्शन की ललक
Neelam Sharma
कभी वाकमाल चीज था, अभी नाचीज हूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जीवन के हर युद्ध को,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
नारी शक्ति वंदन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
कलम बेच दूं , स्याही बेच दूं ,बेच दूं क्या ईमान
कवि दीपक बवेजा
ओम् के दोहे
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
तुझे खुश देखना चाहता था
Kumar lalit
ए मेरे चांद ! घर जल्दी से आ जाना
Ram Krishan Rastogi
खत लिखा था पहली बार दे ना पाए कभी
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
यहाँ किसे , किसका ,कितना भला चाहिए ?
_सुलेखा.
जीत से बातचीत
Sandeep Pande
~ हमारे रक्षक~
करन ''केसरा''
💐प्रेम कौतुक-350💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
राष्ट्र सेवा के मौनव्रती श्री सुरेश राम भाई
Ravi Prakash
वोटों की फसल
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀 *वार्णिक छंद।*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*कुछ तो बात है* ( 23 of 25 )
Kshma Urmila
***कृष्णा ***
Kavita Chouhan
प्रेरणा
पूर्वार्थ
अब मत खोलना मेरी ज़िन्दगी
शेखर सिंह
गीत रीते वादों का .....
sushil sarna
#जी_का_जंजाल
*Author प्रणय प्रभात*
रास्ते फूँक -फूँककर चलता है
Anil Mishra Prahari
इंसान फिर भी
Dr fauzia Naseem shad
Loading...