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3 Feb 2017 · 1 min read

समय सरकता जा रहा

समय सरकता जा रहा ,बात पते की जान l
मुट्ठी जैसे रेत की ,या गरीब का मान ll

या गरीब का मान, पान बिन कत्थे जैसा l
जगत करे अपमान, रहे पास में ना पैसा ll

छोट अमीर गरीब ,सभी समय को रोते l
होत और ही बात,जो काम समय से होते ll

संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश l

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