समय
समय
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समय कब किसके लिए ठहरता है?
वो तो बस,अविराम
चलता ही रहता है,
कहते हैं हर समय सम नहीं होता
कभी खुशियों का तो कभी
गमों का मेला होता।
फिर भी समय गतिमान रहता,
नहीं किसी का इंतज़ार करता,
समय के साथ जो चलता है,
समय भी उसका ख्याल करता है।
समय की भी अपनी मर्यादा है
न ही कम ,न ही ज्यादा है,
समय अनमोल है,
इसके भी बड़े खेल हैं।
समय के साथ चलो,
न इससे खिलवाड़ करो,
वरना बहुत पछताओगे,
समय की गति भी नहीं भांप पाओगे,
फिर हाथ मलते रह जाओगे,
फिर समय को कोषने के सिवा
क्या कुछ कर पाओगे?
समय को पकड़ कहाँ पाओगे?
::::: सुधीर श्रीवास्तव