समंदर
समंदर
समंदर से भी गहरी तेरे दिल की गहराई है,,,,,
आज तुझे देख मेरी मोहब्बत ने ली अंगड़ाई है,,,
आती जाती लहरों सी मजनू की यादें है,,,,,
कभी खुशी कभी गम की रवानी हैं,,,,,,,
आँखों का हाल अश्क से बुरा हुआ हैं,,,,,
लैला को देख मजनू भी ग़मगीन हुआ है,,,,,,,,,
मत कर अपनी नशीली निगाहों से मुझ पर वार,,,,,,,
सोनू तो जमाने के तानो से ही घायल हुयी है,,,,,,,,,
लहरों को भी साहिल से मिलन की चाह जगी है,,,,
पत्थरों को छुप छुप लहरों से मोहब्बत हुई है।
नदियाँ भी समंदर की और बढ़ी चली हैं,,,,,,,,
समंदर ने भी अपनी बाहें खड़ीं की हुई है।।।।।।।
रचनाकार गायत्री सोनू जैन
सहायक अध्यापिका मंदसौर
मोबाइल नंबर 7772931211