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13 Aug 2021 · 1 min read

सब है खुदको समझे, तीसमारखाँ l

सब है खुदको समझे, तीसमारखाँ l
जो न समझे, उसे जिंदगी गई खा ll

कलयुग जानना है, इतना जान ले l
रूह तन से कहे, पंछी के पर खा ll

कलयुग में शातिरी, इतना जान ले l
हर शातिर, सहज कभी न गया परखा ll

कलयुग में नीचता, इतना जान ले ।
मरने के लिये, रखा, प्यासा, भूखा ।।

कलयुग की मुर्खता, इतना जान ले ।
खुद का बनाया, जहर मजे से चखा ll

कलयुग की वीरता, इतना जान ले l
क्या सामना, बम से जीत गीत लिखा ll

कलयुग सहज चरित्र, इतना जान ले l
सत्य पथ में सहज कहाँ कुछ है रखा ll

कलयुग प्रीत प्रताप, इतना जान ले l
बदल ले, कोई और मिले अनोखा ll

कलयुग की समझ, बस इतना जान ले l
क्या है ज़िंदा रिश्ता, क्या है पुरखा ll

कलयुग का व्यापार, इतना जान ले l
झूठ, कपट, धोखा-धडी भरी बरखा ll

कलयुग में कसम, बस इतना जान ले l
कसम कटेगी, वार रहेगा तीखा ll

अरविन्द व्यास “प्यास”

Language: Hindi
147 Views
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