सब खत्म हो जायेगा
सब खत्म हो जायेगा,
अगर रुके ना हम, समझे ना, संभले ना हम
पर्यावरण रूठेगा, प्रकृति रूठेगी,
गर दोहन बंद ना किया प्रकृति का,
और करते रहे मनमानियां हम,
धरती कब तक सहेगी अत्याचार हमारा?
इस प्रश्न से कब तक बचते रहेंगे हम I
सब खत्म हो जायेगा,
अगर रुके ना, समझे ना, संभले ना हम,
नदियों की कलकल और पक्षियों की चहचहाहट,
हवाओं का शोर, हरियाली भोर,
सब सपने में बदल जायेगा
अगर प्लास्टिक का मोह त्याग नहीं पाएंगे हम,
सब खत्म हो जायेगा,
गर रुके ना, समझे ना, संभले ना हम ……..