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25 Aug 2017 · 1 min read

सबसे बड़ा रुपइया भइया…

शव लादे कन्धों पर
पाँव लड़खड़ा रहे थे
नन्हीं मुन्नी हाथ पकड़
चल रही थी अपने पैरों पर

मील दर मील चलता गया
करूणा का केन्द्र बनता गया
हर तरफ एक अजीब सा शोर
कोई वीडियो बनाता कोई फोटो लेता गया!
….
ना दवा हो सकी ना श्मशान की तैयारी
ना कोई घोड़ा-गाड़ी हाथ तंग थे अपने
मन ने यही कहा भइया बाबू कोई नहीं
अगर है तो सबसे बड़ा रूपइया.!
…..
पहुँचा था जब चिकित्सालय
सीधे कहा पहले रुपये जमा करो
फिर मरीज भर्ती किया जायेगा
बिना रुपये के कुछ नहीं हो सकता!
…..
आँखों में आँसू और हाथों में मुन्नी का हाथ था
मन असहाय सा निराला को याद कर रहा था
बाबू-भइया किया फिर भी किसी ने ना सुना
प्राणप्रिया को बस निहारे जा रहा था!
….
अचानक एक चीथड़ों से लदा पुरुष दिखा
देख मुझे कहने लगा क्यों रोते हो भइया
कोई नहीं है दादा-भइया सबसे बड़ा रुपइया भइया!
देख मुझे सब दूर हुए मुझसे !

……
मैं गाता हूँ हर रोज गीत खुशी के
कोई नहीं अपना भइया
सबसे बड़ा रुपइया भइया!
तुम भी गाओ चलते जाओ….
.
शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)

Language: Hindi
272 Views
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