सफर वाला प्रेम
मेरा प्रेम ऐसा ही हैं बस
मैं और वो मिले एक ट्रेन के सफर में
आमने सामने की सीट मिली दोनो को
वही मिली आंखे और हुआ प्रेम का सफर शुरू
दो मुसाफिर मिले एक डगर पर चलने को साथ साथ
मैं कुछ सकुचाई कुछ वो मुस्कुराया
दे बैठे जाने अनजाने दिल एक दूजे
दिल के हाथों हुए मजबूर कुछ ऐसे ही दोनो
फिर हुआ यूं कि पूछा उसने भी “विल यू मैरी मी”
बोला कुछ मैने भी “दू यू लव मी” से ही
सफर हुआ बहुत सुहाना हमारा
चलते चलते हुई बहुत सी बात और फिर हुआ
फोन न का आदान प्रदान
सफर हुआ पूरा आने लगी मंजिल पास
दिल को हुआ बिछुड़ने का अहसास
दोनो चले अपनी अपनी राह
पर होने लगी बाते आपस मे पुरी
अपने दुख सुख हुए एकदूजे के और
अंततः वही ट्रैन का सफर बना पुरे जीवन की डगर
वही से शुरू हुई जीवन भर साथ चलने की डगर
आज हम साथ है दोनो 20 साल बाद भी
एक दूजे के लिए नही रहे कभी एक्दूजे बिन
यही है रेलयात्रा की कहानी
यही है मेरे जीवन सफर की कहानी
जो थी आप सब को सुनानी
चलो अब लाइक करो आप सब
मेरी प्रेम कहानी
मंजु की कहानी