Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Aug 2016 · 1 min read

सपनों की भूख में फर्जों से लिया मुख फेर

मैं नहीं हूँ औरत का विरोधी बहना
पर चाहता हूँ समाज से कुछ कहना
आज की औरत अपने फर्ज से मुख मोड़ गयी
नौकरी के चक्कर में बाकि चिंता छोड़ गयी
उसको बहन कैसे याद दिलाएं
पैसे से बड़े फर्ज का मोल
कैसे उसको आईना दिखाएँ
फर्ज होते हैं अनमोल
घर का गहना औरत कहलाती
तभी वो गृहणी कहि जाती
आदमियों ने भी लालच में उनको
पैसे के जाल में फैंक दिया
बन गयी चक्की पैसे की
बच्चों को अग्नि में सेक दिया
सोचना दोनों पक्षों को गहरायी से
आघात ना लेना मेरी लिखाई से
कहना ये सिर्फ चुनिंदा औरतों के बारे में
खुद में बहन मत ले लेना
हो भूल मेरे शब्दों से अगर
छोटा भाई कहकर माफ़ी दे देना
औरत को करता हूँ सलाम उनको
फर्ज की दिल से कदर है जिनको
नफरत है हर उस मर्द से
जिसके लिए वो दूर होती हैं फर्ज से
आने वाली पीढ़ी को बचाना है
उनको माँ से संस्कार दिलाना है
वो तभी सम्भव हो पायेगा
जब माँ के पास समय आ पायेगा
अभी हूँ लफ्जों का कच्चा खिलाड़ी
खेलनी है रस की लम्बी पारी written -04 /05 /2016
You may give your suggestion on email also- ksmalik2828@gmail.com

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 385 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from कृष्ण मलिक अम्बाला
View all
You may also like:
विश्व जनसंख्या दिवस
विश्व जनसंख्या दिवस
Bodhisatva kastooriya
'उड़ान'
'उड़ान'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अँधेरे में नहीं दिखता
अँधेरे में नहीं दिखता
Anil Mishra Prahari
रामराज्य
रामराज्य
Suraj Mehra
■ बात अगर ग़ैरत की हो तो क्यों न की जाए हिज़रत?
■ बात अगर ग़ैरत की हो तो क्यों न की जाए हिज़रत?
*Author प्रणय प्रभात*
🌹थम जा जिन्दगी🌹
🌹थम जा जिन्दगी🌹
Dr Shweta sood
गर समझते हो अपने स्वदेश को अपना घर
गर समझते हो अपने स्वदेश को अपना घर
ओनिका सेतिया 'अनु '
तुम      चुप    रहो    तो  मैं  कुछ  बोलूँ
तुम चुप रहो तो मैं कुछ बोलूँ
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
"स्कूल चलो अभियान"
Dushyant Kumar
होते फागुन हम अगर, बसता हम में फाग (कुंडलिया)*
होते फागुन हम अगर, बसता हम में फाग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कोई तो कोहरा हटा दे मेरे रास्ते का,
कोई तो कोहरा हटा दे मेरे रास्ते का,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
अश'आर हैं तेरे।
अश'आर हैं तेरे।
Neelam Sharma
तमाम उम्र काट दी है।
तमाम उम्र काट दी है।
Taj Mohammad
बिडम्बना
बिडम्बना
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मार मुदई के रे
मार मुदई के रे
जय लगन कुमार हैप्पी
सूरज ढल रहा हैं।
सूरज ढल रहा हैं।
Neeraj Agarwal
It's not about you have said anything wrong its about you ha
It's not about you have said anything wrong its about you ha
Nupur Pathak
कुछ मीठे से शहद से तेरे लब लग रहे थे
कुछ मीठे से शहद से तेरे लब लग रहे थे
Sonu sugandh
भरोसा
भरोसा
Paras Nath Jha
आस्था होने लगी अंधी है
आस्था होने लगी अंधी है
पूर्वार्थ
💐अज्ञात के प्रति-90💐
💐अज्ञात के प्रति-90💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
My Lord
My Lord
Kanchan Khanna
तुम भी 2000 के नोट की तरह निकले,
तुम भी 2000 के नोट की तरह निकले,
Vishal babu (vishu)
*
*"देश की आत्मा है हिंदी"*
Shashi kala vyas
आया बसन्त आनन्द भरा
आया बसन्त आनन्द भरा
Surya Barman
सिद्धत थी कि ,
सिद्धत थी कि ,
ज्योति
चाहे जितना तू कर निहां मुझको
चाहे जितना तू कर निहां मुझको
Anis Shah
किसी एक के पीछे भागना यूं मुनासिब नहीं
किसी एक के पीछे भागना यूं मुनासिब नहीं
Dushyant Kumar Patel
इतनी उदासी और न पक्षियों का घनेरा
इतनी उदासी और न पक्षियों का घनेरा
Charu Mitra
2446.पूर्णिका
2446.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...