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28 Jul 2016 · 1 min read

सन्दीप की त्रिवेणियाँ

सन्दीप की त्रिवेणियाँ
*****************

(१)
सबका था अनमोल हुआ करता था कभी
चन्द सिक्कों में गली नुक्कड़ पर बिकता है

ये ज़मीर है साहब बड़ी मुश्किल से मिलता है |

(२)

यहाँ पे बमुश्किल कोई ईमानदार मिलता है
हर तरफ बेईमानों का ही सिक्का चलता है

ईमान तो झोंपड़ियों में घुट घुट के मरता है |

(३)

यहाँ चापलूसों के हाथों में चांदी चम्मच है
कर्मशील दो वक़्त की रोटी को तरसता है

साहब कर्मठ को बस तिरस्कार मिलता है |

(४)

अधिकारी यूँ ही वक़्त बेवक्त तफ़रीह करता फिरता है
फाइलों का ढेर मातहत की मेज पर ही आकर लगता है

चपरासी का बच्चा इतवार को भी छुट्टी का इन्तजार करता है |

“सन्दीप कुमार”

Language: Hindi
2 Comments · 761 Views
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