सनातन पर्वों में वैज्ञानिकता
वर्षा जल से लबालब भरे तालाब,पोखर,नाली सहित बाढ़-त्रासदी लिए अटके पानी से पनपे कीड़े-मकौड़े, मच्छरादि से उत्पन्न बीमारी की त्रासे को दूर करने हिन्दू महिलायें घर की सफाई, मरम्मत, रंगाई और आस-पड़ौस पनपे बेतरतीब घास को साफ़कर कार्तिक अमावस्या की अँधेरी रात में कई संख्या में दीप जलाते हैं और मच्छर, बीमारी आदि भगाने के सोद्देश्य शब्द-जाप करते हैं।
सच में तेज ताप और प्रकाश से ये अवांच्छित तत्व इस साल के लिए समाप्त होते चले जाते हैं । फिर कार्तिक शुक्ल षष्ठी को ‘छठ’ मनाते हैं । इनमें वैज्ञानिकता यह है कि इस तिथि को स्नानकर सूर्योदय के समय सूर्य को जल- अर्घ्य देने से जल के फांफी से सूर्यप्रकाश प्रवेशकर शरीर में आने से शारीरिक-सन्ताप से मुक्ति मिलती है।