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30 Jul 2019 · 1 min read

” सताओगे कब तक ” !!

इरादे तुम अपने , बताओगे कब तक !
हमें यों ही जालिम , सताओगे कब तक !!

अभी कहने को तो , बहुत कुछ है बाकी !
फसाना ये दिल का , सुनाओगे कब तक !!

हुआ जो हंगामा , सदन में ना भाया !
मुआफी भी जबरन , भुलाओगे कब तक !!

अगर तुमने अपनी , जमीं को ना छोड़ा !
कहानी ये सबको , सुनाओगे कब तक !!

कभी कोई अपनी , गली में ना आया !
सपन सारे सोये , जगाओगे कब तक !!

सदा ताका करते , गगन के सितारे !
धरा पे ये चंदा , बुलाओगे कब तक !!

अभी तक ना भूले , जमाने की फितरत !
निगाहों में मेरी , समाओगे कब तक !!

स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )

1 Like · 272 Views
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