Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2018 · 1 min read

सतगुरु शरण जगत की तरनी।

सतगुरु शरण जगत की तरनी।

मोह माया है ज्ञान कतरनी
सतगुरु शरण जगत की तरनी।
लख चौरासी योनि भटकनी
जैसी करनी वैसी भरनी
पाप की गठरी शीश न धरनी
सतगुरु कृपा पार वैतरनी
मोह माया है ज्ञान कतरनी
सतगुरु शरण जगत की तरनी।
मन की गति है सतत् विचरनी
फिर फिर आकर फिर वही करनी
कटुक वचन पर अमृत वरनी
सकल जगत पर पीड़ा हरनी
मोह माया है ज्ञान कतरनी
सतगुरु शरण जगत की तरनी।

सतगुरु की महिमा अनत जानहिं जाननहार,
जो जानेह सो तर गये हुइ भव सागर पार।

अनुराग दीक्षित

Language: Hindi
310 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनुराग दीक्षित
View all
You may also like:
राम अवध के
राम अवध के
Sanjay ' शून्य'
हिन्दी
हिन्दी
लक्ष्मी सिंह
प्रेम तुम्हारा ...
प्रेम तुम्हारा ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
तुम्हें प्यार करते हैं
तुम्हें प्यार करते हैं
Mukesh Kumar Sonkar
बदल जाओ या बदलना सीखो
बदल जाओ या बदलना सीखो
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हमने सबको अपनाया
हमने सबको अपनाया
Vandna thakur
मिलेगा हमको क्या तुमसे, प्यार अगर हम करें
मिलेगा हमको क्या तुमसे, प्यार अगर हम करें
gurudeenverma198
तितली संग बंधा मन का डोर
तितली संग बंधा मन का डोर
goutam shaw
बिहार में दलित–पिछड़ा के बीच विरोध-अंतर्विरोध की एक पड़ताल : DR. MUSAFIR BAITHA
बिहार में दलित–पिछड़ा के बीच विरोध-अंतर्विरोध की एक पड़ताल : DR. MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
कवि रमेशराज
पत्थर की लकीर नहीं है जिन्दगी,
पत्थर की लकीर नहीं है जिन्दगी,
Buddha Prakash
मतलबी किरदार
मतलबी किरदार
Aman Kumar Holy
■ सलामत रहिए
■ सलामत रहिए
*Author प्रणय प्रभात*
षड्यंत्रों की कमी नहीं है
षड्यंत्रों की कमी नहीं है
Suryakant Dwivedi
*सरस रामकथा*
*सरस रामकथा*
Ravi Prakash
एक कुआ पुराना सा.. जिसको बने बीत गया जमाना सा..
एक कुआ पुराना सा.. जिसको बने बीत गया जमाना सा..
Shubham Pandey (S P)
शब्द और अर्थ समझकर हम सभी कहते हैं
शब्द और अर्थ समझकर हम सभी कहते हैं
Neeraj Agarwal
खुद से भी सवाल कीजिए
खुद से भी सवाल कीजिए
Mahetaru madhukar
हमारा प्रेम
हमारा प्रेम
अंजनीत निज्जर
"लाभ का लोभ"
पंकज कुमार कर्ण
ग़ज़ल/नज़्म - मेरे महबूब के दीदार में बहार बहुत हैं
ग़ज़ल/नज़्म - मेरे महबूब के दीदार में बहार बहुत हैं
अनिल कुमार
মন এর প্রাসাদ এ কেবল একটাই সম্পদ ছিলো,
মন এর প্রাসাদ এ কেবল একটাই সম্পদ ছিলো,
नव लेखिका
ना जाने कौन सी डिग्रियाँ है तुम्हारे पास
ना जाने कौन सी डिग्रियाँ है तुम्हारे पास
Gouri tiwari
सबके साथ हमें चलना है
सबके साथ हमें चलना है
DrLakshman Jha Parimal
जीवन दया का
जीवन दया का
Dr fauzia Naseem shad
कर
कर
Neelam Sharma
हम हँसते-हँसते रो बैठे
हम हँसते-हँसते रो बैठे
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
लगा चोट गहरा
लगा चोट गहरा
Basant Bhagawan Roy
2895.*पूर्णिका*
2895.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तस्वीर
तस्वीर
Dr. Seema Varma
Loading...