सजन बन मेघ आओ तुम
1
जलाता सूर्य है हमको जरा घिर मेघ आओ तुम
बहुत प्यासी धरा अपनी , बरस उसको बुझाओ तुम
उदासी की घटायें हैं घिरी हरियाली के मुख पर
सुना संगीत बूंदों का उन्हें थोड़ा हँसाओ तुम
2
विरह ज्वाला जलाती है सजन बन मेघ आओ तुम
सुनाकर प्यार के नगमें अगन दिल की बुझाओ तुम
तुम्हारी याद के झौंके नयन देखो भिगोते हैं
चलाकर आँधियाँ इनकी न अब तूफ़ान लाओ तुम
डॉ अर्चना गुप्ता