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29 Mar 2017 · 1 min read

सच की हरदम ही जय होवे

नया वर्ष मंगलमय होवे,
दुःख-दर्दों का ख़ुद क्षय होवे.
०००
रमा जो निज आनंद ह्रदय में,
पस्त हर इक उससे भय होवे.
०००
कभी जो बिछड़ा कोई अपना,
पुनः वो अपनों में लय होवे.
०००
हारे झूठ की कारस्तानी,
सच की हरदम ही जय होवे.
०००
‘सरस’ भूमिका क्या है तुम्हारी,
स्वयं स्वयं से ही तय होवे.
*सतीश तिवारी ‘सरस’

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