सच्ची राह पर चलने वाला
कितनी राते आयी बीती
सूरज हर सुबह उगता है
सच्ची राह पर चलने वाला
बोलो कब कहां थकता है
कोशिश ही मानव को हरदम
उच्च शिखर दिखलाती है
सूखी रोटी खाने वाला
फूस कुटी मे रहने वाला
मस्त मगन हो गाने वाला
स्वाभिमान संग जीने वाला
संघर्ष जी मानव को
फौलाद बनाती है
मां पिता की सेवा करना
बंधु जनो से मिलकर रहना
सत्य अहिंसा के मग चलना
परेशान की सेवा करना
परमार्थ ही मानव को
संत बनाती है
विन्ध्यप्रकाश मिश्र नरई संग्रामगढ प्रतापगढ उप्र